राजेश पाल की रिपोर्ट :
अमेठी : जनपद में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ रविदास जयंती मनाई गई। इस अवसर पर क्षेत्र के प्रबुद्ध जनों में अंबेडकर चौराहे पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके विशेष समारोह के साथ रविदास जयंती मनाई। इस अवसर परमुख्य अतिथि आरके सरोज रहे डॉ एस एन सिंह और आरडी पासी तिलोई ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर रामबहादुर गौतम राम कुमार पचई मिश्रीलाल राम गोलू चौधरी के साथ सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
बताते चलें कि संत कुलभूषण कवि संत शिरोमणि रविदास उन महान सन्तों में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है, जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता है। मधुर एवं सहज संत शिरोमणि रैदास की वाणी ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी शाखाओं के मध्य सेतु की तरह है।प्राचीनकाल से ही भारत में विभिन्न धर्मों तथा मतों के अनुयायी निवास करते रहे हैं। इन सबमें मेल-जोल और भाईचारा बढ़ाने के लिए सन्तों ने समय-समय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे सन्तों में शिरोमणि रैदास का नाम अग्रगण्य है। इनकी याद में माघ पूर्ण को रविदास जयंती मनाई जाती हैं।र
विदास जी और कबीर जी के बीच मे कहा जाता हैं कि ज्ञान गोष्ठी हुई थी तब रविदास जी ने कबीर जी से दीक्षा ली थी पर इसके बारे में ज्यादातर लोगों का यही मानना है गुरु रविदास जी 15 वीं-16 वीं शताब्दी में एक महान संत, दार्शनिक, कवी, समाज सुधारक और भारत में भगवान के अनुयायी हुआ करते थे. निर्गुण सम्प्रदाय के ये बहुत प्रसिद्ध संत थे, जिन्होंने उत्तरी भारत में भक्ति आन्दोलन का नेतृत्व किया था. रविदास जी बहुत अच्छे कवितज्ञ थे,