यूपी : 102 और 108 सरकारी एंबुलेंस के जरिये हो रहा बड़ा घोटाला, विभागीय कर्मचारी ने खोली फर्जीवाड़े की पोल

अनेश कुमार की रिपोर्ट :

एटा : जनपद में घायलों, रोगियों और गर्भवती महिलाओं को समय से सरकारी स्वास्थ सेवा एवं उचित उपचार उपलब्ध कराने हेतु निशुल्क यात्रा कराने बाली 102 और 108 सरकारी एंबुलेंसों पर तैनात स्टाफकर्मी अपने ही विभागीय अधिकारियों के फर्जीबाड़े और उनकी मनमानी से परेशान हैं। कभी फर्जी फोन कराकर केसों की संख्या बढ़ा लाखों का डीजल डकारना तो कभी खुद चलने में असाहय एम्बुलेंसों को कागजों पर फर्जी केस दिखाकर गिनती बढ़ाये जाने के घपले कर सरकारी धन को दोनों हाथों से लुटने में लगे हैं। विरोध और गलत कार्य न करने वालों को नौकरी से बर्खास्त कर प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे ही अनेकों संगीन आरोप लगाते हुये विभाग में पनपते बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा किया गया है।

एम्बुलेंस 108 पर तैनात शहर के आगरा रोड स्थित कृष्ण विहार कालोनी निवासी धर्मेन्द्र कुमार पुत्र महावीर सिहं ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दिये एक शिकायती पत्र से, जिसमें खुले शब्दों में ईएमई अजय त्रिपाठी, अभजीत बनर्जी और मंडल प्रभारी अभिनेद्र राठौर पर फर्जीवाडा कराने और बात न माने पर पद से वर्खास्त करने का आरोप लगाया है।



पीड़ित धर्मेन्द्र के अनुसार ईएमई अजय त्रिपाठी, अभजीत बनर्जी और मंडल प्रभारी अभिनेद्र राठौर एम्बुलेंस कर्मचारियों का खुला उत्पीडन कर रहे हैं। ये अधिकारी भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर चुके हैं। आरोप हैं कि ईएमई और मंडल प्रभारी हम एम्बुलेंस कर्मियों से प्रतिदिन दस से बारह केस रजिस्टर्ड करने का दबाब बनाते हैं। इतना ही नही बात न मानने वालों को ड्यूटी से बर्खास्त करने की धमकी देते हैं।

धर्मेन्द्र के अनुसार इन अधिकारियों ने उसे किस तरह मानसिक तौर किया हैं, फोन करके धमकी देना और बात न मानने पर सबक सिखाने की धमकी भरी कॉल रिकार्डिंग इस बात के जीते जागते प्रमाण हैं। पीडित धर्मेन्द्र ने मीडिया के सामने यह भी खुलासा करके सनसनी फैला दी कि कई ऐसी एम्बुलेंसों से दस से बारह केसों को रजिस्टर्ड कर सरकार और विभाग की आँखों में धुल झोक जेब भर रहे हैं, जो एम्बुलेंस वर्कशाप में मरम्मत हेतु खड़ी है, लेकिन मीडिया में आई खबरों के बाद अधिकारियों ने इन मृत एम्बुलेंसों को गायब कर दिया गया हैं, जिसमें सबसे अधिक तो ब्लाक स्तरीय एम्बुलेंसे शामिल हैं, जो कई दिन से आखों से ओझल हैं। बाबजूद इसके कागजों में मरीज और गर्भवती महिलायें आपात स्थिति में उनमें यात्रा कर रही है।



इस सम्बन्ध में जब पत्रकारों की टीम ने आरोपों से घिरे अधिकारियों का पक्ष जानना चाहा तो इन अधिकारियों ने बोलने से भले ही स्पष्ट इनकार कर दिया और पत्रकारों से इस सच्चाई को दबाने का भरकस प्रयास किया। हालांकि ड्यूटी और फर्ज से अनदेखी और कर्मचारियों के साथ किये इस उत्पीडन और विभागीय भ्रष्टाचार के लगे इस आरोप की जानकारी के सन्दर्भ में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी अग्रवाल से जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि एक शिकायत उनके पास आई हैं, जिसकी जांच करायी जा रही हैं और जांच के आधार पर दोषी पाये जाने वालों के विरुद्ध आवश्यक विभागीय कार्यवाही की जायेगी।


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