वी.पी यादव की रिपोर्ट
वाराणसी के डीजल रेल कारखाना (डीरेका) में बेकार हो चुके डीजल रेज इंजनों व इलेक्ट्रिक इंजनों के पार्ट तथा कुछ नए उपकरणों से तैयार विश्व का पहला कनवर्टड इंजन पटरियों पर दौड़ने के लिए उतरा। 10 हजार अश्व शक्ति की क्षमता के पहले कनवर्टड इंजन का ट्रायल रन किया गया सीआरएस शैलेष पाठक के साथ आरडीएसओ और डीरेका के अधिकारियों की मौजूदगी में कैंट रेलवे स्टेशन से चौखंडी के बीच 15 किलोमीटर तक इंजन का ट्रायल रन किया गया। इसकी कार्यक्षमता परखने के बाद सीआरएस ने डीरेका में निरीक्षण और बैठक कर इंजन की कमियों के साथ-साथ जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देश दिए।
यह इलेक्ट्रिक इंजन हेवी लोड होने पर भी 100 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से दौड़ेगा। अप्रैल में मधेपुरा (बिहार) में बनकर तैयार हुआ देश का सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक इंजन भी इतनी ही क्षमता का है लेकिन उसे नए कल-पुर्जों से बनाया गया है। जबकि डीरेका में बनने वाले इलेक्ट्रिक इंजन की खास बात यह है कि इसे दो डीजल रेल इंजनों को इलेक्ट्रिक मोड में परिवर्तित और संयुक्त कर तैयार किया गया। पंजाब से पटियाला स्थित डीसीडब्ल्यू से लाए गए दो पुराने एल्को श्रेणी के रेल इंजन पहले इलेक्ट्रिक इंजन में बदल कर कर पांच-पांच हजार हार्स पावर की क्षमता के बनाए गए। बाद में फिर दोनों को जोड़ कर 10 हजार हार्स पावर की क्षमता का इंजन तैयार किया गया है। इस इंजन को उत्तर रेलवे को ट्रायल के लिए दिया गया। बुधवार को सीआरएस की मौजूदगी में कनवर्जन लोको की खास बातों पर डीरेका के अधिकारियों ने प्रजेंटेशन दिया। बाद में इसका ट्रायल रन किया गया। डीरेका इसी प्रकार दो पुराने इंजन जोड़कर 12 हजार अश्व शक्ति की क्षमता का इंजन तैयार कर रहा है। इनमें से छह हजार की क्षमता का एक इंजन तैयार हो गया है। डीरेका उपमहाप्रबंधक नितिन मेहरोत्रा ने बताया कि ट्रायल रन के दौरान इंजन की खास बातों से सभी को अवगत कराया गया।