हरदीप छाबड़ा की रिपोर्ट :
देवभोग : आमामोरा के जंगल मै पुलिस और नक्सलियों के बीच बुधवार को तकरीबन 3 बजे मुठभेड़ हुआ। आईडी के चपेट मे आने से बाईक 20 फिट ऊँची गुब्बारे की तरह उछल गया और मोटरसाइकिल राख में तब्दील हो गया और मौके पर दो जवान शहीद हो गए। शहीद जवानो में एक जवान देवभोग थाना क्षेत्र के करचिया का निवासी है और दूसरा जवान लेखराम बघेल जो कांकेर जिले के नरहरपुर थाना क्षेत्र का है।
गुरूवार को 1 बजे जब शहीद भोजसिंह टाण्डिल्य का पार्थिव शरीर देवभोग पहुंचा तो देवभोग नगरवासी पुलिस थाना के पास हजारो की संख्या मे इकट्ठे हो गए और शहीद भोजसिंह अमर रहे ,जब तक सूरज चाँद रहेगा ..भोज तुम्हारा नाम रहेगा ,भारत माता की जय कारे गूंज उठे। नगर वासी व क्षेत्र वासी सुबह से ही शहीद के पार्थिव शरीर को एक छलक दर्शन पाने के लिए इन्तजार कर रहे थे और जब पार्थिव शरीर पहुंचा तो ग्रामीणों के आँख मे आँसू भर आया और अंतिम दर्शन मे जन सैलाब उमड़ पड़ी।
देवभोग नगर मे प्रतिष्ठान भी बन्द रहे। शहीद के पिता जगेश्वर टाण्डिल्य के घर के पास जब शहीद बेटे का पार्थिव शरीर पहुंचा तो पिताजी बिलखते हुए रो पड़े तो वही माता ने अपने पुत्र के बलिदान को देश के लिये बलिदान होना कहते हुए तू मेरा नही भारत माता का लाल था मेरा बेटा कहने लगी। इस दुखद घड़ी मे एसडीओपी राहुल देव शर्मा ,पी पी सिंह ,सीआर ठाकुर ,पूर्व विधायक डमरूधर पुजारी ,जिला पंचायत सदस्य उर्मिला पात्र , ,हलमन ध्रुवा,नीरज ठाकुर ,पुनीत सिन्हा, संजय नेताम नीरज राजपूत प्रमुख रूप से उपस्थित रहे ।
शहीद भोजसिंह टाण्डिल्य के पार्थिव शारीर को जब पिकअप मे लाया गया तो ग्रामीणों मे काफी नाराजगी दिखी। समाज के युवा बेनु डोंगरे ने कहा कि यह सरासर शहीद का अपमान है। पार्थिव शरीर को इस तरह पिकअप मे लाना बड़ा ही दुर्भायपूर्ण है। कम से कम एम्बुलेंस या फिर अच्छी वाहन में लाया जाना था। इस पुरे मामले को लेकर जाँच के लिए पुलिस अधीक्षक के साथ प्रदेश के मुखिया को पत्र लिखेंगे और निष्पक्ष जाँच की मांग की जाएगी। आखिर ऐसी क्या स्थिति पैदा हुई जो शहीद को पिकअप में लाया गया ।
संयोग कहे या विधि का विधान
शहीद भोजसिंह टाण्डिल्य का शहादत भी किसी संयोग से कम नही। शहीद की भर्ती भी 2 मई 2013 को हुई थी और 2 मई 2018 को वे शहीद हो गए। यह कहते है न कि विधि का विधान ही सर्वमान्य होता है। यह बात भी अंचल में चर्चा का विषय बना हुआ है ।