संतोष गुप्ता की रिपोर्ट :
चन्दौली : शहाबगंज क्षेत्र के गोपई गांव में शुक्रवार की दोपहर में अज्ञात कारणों से लगी आग से लगभग सौ बीघा खेत की फसल जलकर राख हो गई। आस-पास के गांव से हजारों लोगों ने विकराल रूप धारण कर चुकी आग पर बड़ी मशक्कत से काबू पाया। जब तक वह काबू पाते, तब तक पूरी फसल जलकर राख हो चुकी थी। ग्रामीणों ने फोन कर अग्निशमन केंद्र को सूचना दी, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला तो कुछ लोग चंदौली अग्निशमन केंद्र पर पहुंचे और सोए हुए गाड़ी के ड्राइवर को जगाने का प्रयास किया। काफी प्रयास के बाद ड्राइवर जागा और आराम से घटनास्थल पर कोई शीघ्रता न दिखाते हुए पहुंचा। तब तक सारी फसल जलकर राख हो चुकी थी।
ग्रामीणों ने अग्निशमन की गाड़ी को जब घटना के बाद पहुंचते देखा, तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। ड्राइवर को उनके विरोध का सामना करना पड़ा और किसी तरह से वहां से जान बचाकर के वह भागा। पुलिस प्रशासन को भी फोन द्वारा सूचित करने के बाद साहबगंज थाने की पुलिस लगभग 1 घंटे के बाद घटनास्थल पर पहुंची, तब तक कुछ ही शेष रह गया था। प्रशासन को देखते ही लोग अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सके और पुलिस प्रशासन के खिलाफ विरोध के स्वर मुखर करने लगे। स्थिति को भाप पुलिस प्रशासन ने वहां से वापस लौटने में ही भलाई समझी और वहां से तत्काल वापस हो गए।
लोगों के 1 वर्ष के परिश्रम का फल यह फसल थी। कुछ लोगों का साल भर का खर्चा भी सिर्फ फसल पर आधारित है। जीवकोपार्जन के लिए खेती ही एकमात्र सहारा थी। अपनी आंखों के सामने उस परिश्रम के फल में आग लगते हुए देख कर के उनका कलेजा ही मानों मुंह को आ गया, लेकिन क्या करते। शोरगुल सुनकर आसपास के 4 गांव से हजारों ग्रामीणों ने आकर के आग पर काबू पाने का प्रयास किया लेकिन सफलता हाथ नहीं लग पाई। उसमें से किसान लालजी तिवारी की4 बीघे की फसल भी जलकर स्वाहा हो गई और इसी फसल के सहारे उन्होंने अपनी बिटिया की शादी तय कर रखी थी। अपनी बिटिया की शादी तय कर रखी थी। इसी 27 अप्रैल को बारात आने वाली थी, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी चारों बीघे फसल बर्बाद हो जाने के कारण उनके घर में अन्न का एक दाना भी शेष नहीं रहा। उनकी आंखों से तो बस आंसू ही टपक रहे थे दिल उनका तड़प तड़प कर रो रहा था।
पीड़ित किसान जिनकी फसल जलकर राख हो गई- लालजी तिवारी 4 बीघा, गुड्डू तिवारी 20 बीघा, संतोष तिवारी 5 बीघा, मंगला तिवारी 3 बीघा, प्यारे तिवारी 3 बीघा, चंद्रिका तिवारी तीन बीघा, राम कमल तिवारी 3 बीघा, सुदामा तिवारी 10 बीघा, राजमुनि तिवारी 7 बीघा, टोनी तिवारी 7 बीघा, कुमार पासवान एक बीघा, प्रबोधन पासवान एक बीघा, कैलाश दुबे 3 बीघा। और किसानों के फसल के आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाए। आग बुझाने के लिए आस-पास के गांव जमोखर, परासी, कला परासी, खुर्द, गोप ई व पखनपुरा से लगभग हजार की संख्या में लोगों ने वहां उपस्थित रहकर आग पर काबू पाने का प्रयास।
इसके पूर्व के वर्षों में भी दो बार अगलगी की घटना हो चुकी है, लेकिन प्रशासन के द्वारा अभी तक पीड़ित किसानों को कोई मुआवजा देना शासन ने उचित नहीं समझा। लोगों का कहना है कि इस बार भी शासन से मदद की क्या उम्मीद रखी जाए, जब 2 साल होने को आए पिछली घटना से पीड़ित किसानों को ही अभी तक मुआवजा नहीं प्राप्त हो सका है, तो हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं। प्रशासन की अनदेखी किसानों के कष्ट में सोने पर सुहागा का काम कर रही है। उनका कहना है कि जो भी सुख हो या दुख हो हमें ही झेलना है। प्रशासन से कोई उम्मीद करना बेवकूफी होगी।