नई दिल्ली : एक तरफ जहाँ मोदी सरकार पर आर्थिक मोर्चे पर विफलता के आरोप लग रहे हैं, वहीँ इस समस्या से निपटने को लेकर सरकार के द्वारा प्रयास जारी है। जहाँ एक तरफ विपक्ष देश में छाई मंदी के लिए केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीँ अब निति आयोग ने देश में छाई मंदी के लिए रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को जिम्मेदार ठहराया है।
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने दावा किया है कि वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही से पहले लगातार 9 तिमाही में दर्ज हुई गिरावट के लिए राजन की आर्थिक नीतियां जिम्मेदार हैं। राजीव कुमार ने कहा कि बीते तीन साल के दौरान विकास दर में गिरावट बैंक के एनपीए में हुई बढ़ोत्तरी के चलते है। कुमार ने कहा कि जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तब बैंकों का एनपीए 4 लाख करोड़ रुपये था।
लेकिन मार्च 2017 तक यह एनपीए बढ़कर 10.5 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया। एनपीए में हुई इस बढ़त के चलते तीन साल के दौरान जीडीपी में लगातार गिरावट देखने को मिली और इसके लिए सिर्फ रघुराम राजन जिम्मेदार हैं। राजीव कुमार ने दावा किया कि बैंक के एनपीए का आंकलन करने के लिए राजन ने नई पद्दति की शुरुआत की, जिससे बैंकों का एनपीए लगातार बढ़ता रहा और बैंको का भरोसा कंपनियों पर से लगातार उठता रहा। इसका नतीजा यह रहा कि देश की कंपनियों को बैंकों से नया कर्ज नहीं मिला और अर्थव्यवस्था में सुस्ती घर करने लगी और जीडीपी के आंकड़े कमजोर होने लगे।
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