विविधताओं एंव विभिन्नताओं में भी एकता का देश है हमारा गणतंत्र-डा०गणेश पाठक

बलिया 70 वें गणतंत्र दिवस का पावन पर्व महर्षि वाल्मीकि विद्या मंदिर मिश्रा कालोनी, काजीपुरा, बलिया में अत्यन्त ही धूम- धाम से मनाया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक। जबकि विशिष्ट अतिथि के रूपमें सतीशचन्द्र कालेज के पूर्व प्राचार्य डा० रमाकान्त त्रिपाठी ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सतीशचन्द्र महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा० अशोक कुमार उपाध्याय ने की।

कार्यक्रम की शुरूआत सर्व प्रथम मुख्य अतिथि डा० गणेश कुमार पाठक द्वारा दीप प्रज्जवलित एवं विद्या की देवी माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के भैया एवं बहनों द्वारा विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए जो भारतीय गणतंत्र से संबंधित विभिन्न तथ्यों पर आधारित थे। विशिष्ट अतिथि के रूपमें कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा० रमाकांत त्रिपाठी ने कहा कि आज बच्चों में गहन अध्यनशीलता की जरूरत है।  आज उन्हें उद्देश्यपरक शिक्षा की आवश्यकता है और देश की सुरक्षा एवं नव निर्माण  की जिम्मेदारी हम सबकी जिम्मेदारी होनी चाहिए।

बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा० गणेश कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा देश विश्व का सबसे बडा़ गणतांत्रिक देश है जो विविधताओं एवं विभिन्नताओं से भरा पड़ा है। यह विविधता एवं विभिन्नता ही हमारे देश की चहचान है जो हमारी एकता को एक सूत्र में पिरोए हुए है। हमारी संस्कृति की एक विशिष्ट पहचान एवं विशेषता है , जिसके बल पर हम आज तक विश्व में अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं । यद्यपि की मुस्लिम शासनकाल एवं ब्रिटिश शासनकाल में हमारी सभ्यता एवं संस्कृति को मिटाने का भरपूर प्रयास किया गया, किन्तु हमारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति इतनी समृध्द एवं प्रभावशाली है कि कोई भी इसे मिटा नहीं सका, कारण कि हममें संस्कार है और यह संस्कार प्राप्त होता है महर्षि वाल्मीकि विद्या मंदिर जैसे शिक्षा मंदिरों से जिनका व्यक्ति निर्माण एवं देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

डा० पाठक ने कहाकि आज देश आतंकवाद, भ्रष्टाचार एवं सामाजिक बुराईयों जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। इनसे निपटना न केवल शासन एवं सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी बनती है । कुछ मायने में आज हमारा लोकतंत्र खतरे में है। इस खतरे को हमें सहझना होगा एवं तद्नुरूप हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डा० अशोक कुमार उपाध्याय ने कहा कि आज हमें बच्चों में ऐसी शिक्षा देने की आवश्यकता हे कि उनके अन्दर विशेषज्ञता हासिल करने की क्षमता विकसित हो। आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है । उन्होंने भैया- बहनों से कहाकि वे अध्यवसायी बने।

कार्यक्रम का संचालन इसी विद्यालय के एक शिक्षार्थी भैयाने किया। कार्यक्रम को इस विद्यालय के छात्र संसद की प्रधानमंत्री बहन ने भी संबोधित किया। अंत में विद्यालय के निदेशक एस० डी० सिंह ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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