भागलपुर से राहिल सिद्दकी की रिपोर्ट:
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय – पूर्व में नियुक्त अतिथि व्याख्याता फिर से नियुक्ति के लिए जूझ रहे हैं।
अनशन पर बैठे हुए हैं।
लगभग 5 साल से कार्यरत अतिथि व्याख्याता को पिछले दिनों एकाएक हटा दिया गया था।
सरकार के छात्र-युवा विरोधी नीतियों के मार झेल रहे हैं उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान
कुछ भी स्थायी नहीं
नौजवान सरकारों के लिए फुटबॉल बनकर रह गये
ये मसला केवल अतिथि व्याख्याताओं के साथ सरकार के गलत रवैये का नहीं है!
बल्कि सरकार उच्च शिक्षा व्यवस्था के प्रति भी अपना गलत रवैया को सामने ला रही है
हमें जरूर ही पटना-दिल्ली सरकारों के छात्र-युवा विरोधी और शिक्षा-रोजगार विरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ाई को मजबूत और धारदार बनाना है