नई दिल्ली : पुलवामा हमले के खिलाफ भारतीय वायुसेना द्वारा किये गए एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने वालों को नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO) की रिपोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। रिपोर्ट के अनुसार जिस वक्त बालाकोट कैंप पर भारतीय वायुसेना ने हमला किया, उस वक्त बालाकोट कैंप में जैश के 263 आतंकी मौजूद थे। वहीँ सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इंडियन एयर फोर्स की स्ट्राइक से पहले यहां ट्रेनिंग के लिए काफी आतंकी मौजूद थे।
दरअसल एयर स्ट्राइक के वक्त जैश-ए-मोहम्मद के तकरीबन सभी आतंकी और कमांडरों के पास मोबाइल फोन थे। नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO) आतंकियों के मोबाइल के सिग्नल को बारीकी से ट्रैक कर रहा था। खुफिया सूत्रों के मुताबिक एयर फोर्स के हमले के बाद सभी मोबाइल सिग्नल गायब हो गए। वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित जैश के ठिकानों पर हमले के लिए पांच दिन तक निगरानी की थी। हमले के दौरान चार मिसाइलों से टेरर कैंप को टारगेट किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक जैश के बालाकोट ट्रेनिंग कैंप में 18 सीनियर कमांडर भी मौजूद थे। दौरा-ए खास (उन्नत प्रशिक्षण) के लिए 91 आतंकी, दौरा-ए-आम (सामान्य प्रशिक्षण) के लिए 83, दौरा-ए-मुतालह के लिए 30 और 25 आतंकियों को आत्मघाती हमले की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इसके अलावा कैंप में काम करने वाले नाई और कुकिंग सहित 18 स्टाफ के लोग भी शामिल थे। बताया जा रहा है कि 1 मार्च से आतंकियों की ट्रेनिंग शुरू होने वाली थी।
रिपोर्ट के अनुसार जैश को इस हमले से बड़ा सदमा पहुंचा है। अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों से लड़ने वाले कई बड़े आतंकी लापता बताए जा रहे हैं। इनमें मुफ्ती उमर, मौलाना जावेद, मौलाना असलम, मौलाना अजमल, मौलाना जुबैर, मौलाना अब्दुल गफूर कश्मीरी, मौलाना कुदरतुल्लाह, मौलाना कासिम, और मौलाना जुनैद का नाम शामिल है। ये सभी जैश के चीफ मौलाना मसूद अजहर के करीबी थे और उन्हें मसूद ने अफगानिस्तान अभियान के बाद चुना था।