रिपोर्ट-विजय यादव
मुसाफिरखाना :अमेठी -प्रदेश व् केंद्र सरकार एक तरफ जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा कर रही है ।वही दूसरी तरफ अति संवेदनशील मुसाफिरखाना तहसील मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बद से बदतर स्थिति में पहुंच रहा है ।न तो पर्याप्त स्टाफ की व्यवस्था है और न ही अन्य मूलभुत सुविधाएं ।राष्ट्रीय राजमार्ग के बगल स्थित होने के कारण आए दिन दुर्घटनाओं के कारण समय पर समुचित इलाज की व्यवस्था न होने से क्षेत्र के लोगो को सुल्तानपुर या लखनऊ ही जाना पड़ता है ।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बेहतर सुविधाओं से लैश करने के लिए कई बार स्थानीय लोगो ने शासन से मांग भी कर चुके है ।
मुसाफिरखाना तहसील मुख्यालय के करीब मुसाफिरखाना -मुंशीगंज रोड के बगल वर्षों पूर्व स्थापित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बद से बदतर हालात में पहुंचता जा रहा है ।सुविधा के नाम पर महज खाना पूर्ति ही है। वर्तमान स्थिति कुछ ज्यादा ही चिंताजनक दिख रही है।प्रदेश की पूर्ववर्ती सपा सरकार द्वारा पुराने सरकारी अस्पताल की जगह पर ट्रामा सेंटर के निर्माण का कार्य प्रस्तावित था ।2017 के चुनाव में सत्तासीन हुई भाजपा सरकार के आने के बाद राजनीतिक दबाव में मुसाफिरखाना कस्बे में स्थापित होने वाले ट्रामा सेंटर को स्थान्तरित कर जगदीशपुर में स्थापित किया जा रहा है ।ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि मुसाफिरखाना से 24 किमी दूर मुंशीगंज में संजय गांधी अस्पताल ,22 किमी दूर पश्चिम में जगदीशपुर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 23 किमी दूर जिला मुख्यालय गौरीगंज के अस्पताल स्थित है ।जबकि सुल्तानपुर की दूरी 32 किमी है ।इसके बीच में कोई ऐसा अस्पताल नही है जहाँ गम्भीर रूप से घायल या बीमार व्यक्ति का बेहतर रूप से इलाज हो सके ।मुसाफिरखाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक के नाम पर मात्र चार चिकित्सक की तैनाती की गई है ।राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पांच अस्थायी चिकित्सकों के भरोसे ही इतनी बड़ी आबादी के बेहतर स्वास्थ्य का जिम्मा है ।खासकर सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने के बाद घायलों को मात्र प्राथमिक उपचार के बाद ही जिला अस्पताल या लखनऊ रेफर कर दिया जाता है ।फोरलेन के निर्माण कार्य के पूरा होने के बाद से ही क्षेत्र में अमूमन दुर्घटनाओं की संख्या में इजाफा हुआ है