हरदीप छाबडा की रिपोर्ट
राजनांदगांव छत्तीसगढ़ शिक्षा का अधिकार कानून का लाभ वीवीआईपी जिले में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को कम से कम मिले इसके लिये शिक्षा विभाग ने पूरी तैयारी की है। जिले में संचालित कई प्राईवेट स्कूलों का नाम आरटीई पोर्टल से गायब है, तो कई स्कूलों ने इस बार कम आरक्षित सीट बताई है। पोर्टल में स्कूलों की जानकारी कुछ इस तरह से अपलोड किया गया है, ताकि कोई इसे खोज न पाये। शासन व प्रशासन के जिम्मेदार लोग यह नहीं चाहते कि गरीब का बच्चा भी नामचिन निजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा पाये। जिन प्राईवेट स्कूलों का नाम आरटीई पोर्टल में नहीं है, अब उन स्कूलों को स्कूल संचालित करने की अनुमति नहीं मिलना चाहिये और उन स्कूलों पर तत्काल शिक्षा का अधिकार की धारा 18 एवं 19 के तहत् कार्यवाही किया जाना चाहिये, लेकिन ज्यादातर स्कूलें तो बड़े लोगों के है जो राजनीति से भी जुड़¸े हुये है तो फिर उनकी स्कूलों को बंद कौन करवा सकता है। लोगों को मालूम है कि गरीब अपने बच्चों के अधिकार के लिये नहीं लड़ेगा, ना विरोध करेगा और जो करेगा वह भरेगा।
वीवीआईपी जिला होने का लाभ गरीबों न मिले इसे बिडंबना ही कहा जा सकता है, जिन लोगों को इसका लाभ मिल रहा है वे गरीब नहीं है। शासन ने कई पत्र जारी किये है कि गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, लेकिन यह सभी आदेश सिर्फ पढ़ने में अच्छे लगते है, जमीनी हकीकत तो कुछ और है। जिले के जिन प्राईवेट स्कूलों का नाम आरटीई पोर्टल में नहीं है और वे जिले में खुलेआम संचालित हो रहे है, इसके लिये कौन जिम्मेदार है, इसकी जांच होनी चाहिये, क्योंकि अब जब मामले का खुलासा हुआ है, तो जिम्मेदार अधिकारियों को बचाना गरीबों के साथ अन्यया होगा।
*वर्सन…*
जिले के कलेक्टर हो इस संबंध में तत्काल हस्ताक्षेप कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिये। गरीबों को आरटीई का पूरा लाभ मिलना चाहिये।