आशीष गौरव पांडेय की रिपोर्ट :
वाराणसी : संत शिरोमणि श्री रविदास जी की धूम धाम से सज धज कर क्षेत्र के महमूदपुर, लोहता ,भट्ठी ,कोरौता, कोटवां आदि क्षेत्रो से गुरु रविदास जी की भव्य शोभा यात्रा झांकी निकाली गयी। इस अवसर पर भक्तो ने भक्तिमय गीत व वाद्ययंत्रों की कर्ण प्रिय संगीत की ध्वनि पर स्त्री व पुरुषो द्वारा भाव विह्वल हो कर नृत्य करते हुए देखे गए।
इस अवसर पर जगह जगह संत शिरोमणि के जीवनी पर गोष्ठी व स्वागत किया गया। संत शिरोमणि के जीवन को उद्धृत करते हुए भक्त शिव कुमार ने संत सिरोमणि श्री रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे बेहद सरल स्वभाव के स्वामी थे उन्हें भक्तो द्वारा रैदास भी कहा जाता था । बबलू चौधरी ने कहा कि संत सिरोमणि रविदास जी को पैत्रिक ब्यवसाय के रूप में जूता बनाने का काम मिला था जिसे उन्होंने सरलता व सहजता पूर्वक खुसी खुसी स्वीकार कर लिया और अपने कामो में रूचि लेते हुए गरीबो व दुखियारों की हमेसा मदत् किया करते थे । यदि रास्ते में कही साधू संत मिल जाया करते थे तो वे सन्तों का निःस्वार्थ भाव से सेवा करते थे ।
इस अवसर पर जगदीश जायसवाल ने कहा कि संत शिरोमणी श्री रविदास जी की जीवन पर चर्चा करते हुए कहा कि श्री रविदास जी का जन्म 13 98 ईस्वी को माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बनारस में हुआ था । हर साल इसी दिन पुरे देश में उनकी जयंती मनाई जाती है । उन्होंने ने कहा कि संत शिरोमणि अपने दोहा व पदों के माध्यम से समाज को जागरूक किया । वे भक्त और साधक कुलीन परम्परा के कवि थे , उनके पदों में प्रभु की भक्ति /भावना, ध्यान व समाधान प्रमुख रूप से विद्यमान है। अपने जीवन में उन्होंने भक्ति मार्ग को अपनाते हुए सत्संगों के द्वारा भक्ति मार्ग को आम जन मानस तक पहुचाया । उनका एक भजन बहुत लोक प्रिय हुआ था । जिसे आज भी लोग बन्दन अभिनन्दन करते हुए गुनगुनाते है । उस भजन की पंक्ति है ।
“प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी “इस अवसर पर क्षेत्रीय गणमान्य लोगो के साथ थानाध्यक्ष लोहता राकेश सिंह सहित हजारो महिलाये पुरुष शामिल रहे ।