राजेश पाल की रिपोर्ट :
अमेठी : किसान जैविक उर्वरक अपनाकर कम लागत में अच्छी फसल उत्पादित कर सकते हैं इसके साथ साथ रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से भी बच सकते हैं अधिक रासायनिक खादों व कीटनाशक के प्रयोग से किसानों के मित्र कीट भी नष्ट होते चले जा रहे हैं इसके लिए जैविक उर्वरक ओं का प्रयोग किसानों के लिए लाभकारी है। उक्त उद्गार प्रमुख संदर्भ व्यक्ति व वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार त्रिपाठी ने नाबार्ड द्वारा प्रायोजित ओंकार सेवा संस्थान द्वारा आयोजित एक दिवसीय कृषक गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।
त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान समय मे युवा पीढ़ी खेती से विमुख होती जा रही है जो कि चिंता की बात है। हमे परंपरागत खेती से हटकर तकनीकी खेती को अपनाना होगा। तभी हमारी लागत कम होगी और आमदनी बढ़ेगी। इसके साथ ही हमारा उत्पाद गुणवत्तापरक होगा। कार्यक्रम सँयोजक सूर्य कुमार त्रिपाठी ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पदुधन बीमा योजना, ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती के बारे में बताते हुए कहा कि किसान भाई मात्र एक देसी गाय से तीस बीघे खेती बिना किसी लागत के कर सकते हैं। ब्लॉक के तकनीकी सहायक समर बहादुर यादव ने कीट प्रबंधन तथा उर्वरक प्रबंधन के साथ साथ कृषि विभाग की अन्य योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम में ग्रामप्रधान राना बहादुर यादव के साथ जीत बहादुर पाल ,भानुमति ,मंशा देवी, फूलकला ,धनपता सहित सैकड़ो किसान मौजूद रहे।