नई दिल्ली : पीएम मोदी आज देशवासियों को एक और ख़ास तोहफा देने जा रहे हैं। जी हाँ, पीएम मोदी आज देश के सबसे लंबे रेल सह सड़क पुल का शुभारंभ करने जा रहे हैं। इस पुल से होकर गुजरने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी को आज पीएम मोदी हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। कुल 4.9 किलोमीटर लंबे इस पुल की मदद से असम के तिनसुकिया से अरूणाचल प्रदेश के नाहरलगुन कस्बे तक की रेलयात्रा में लगने वाले समय में 10 घंटे से अधिक की कमी आने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि यह एशिया का दूसरा जबकि भारत का सबसे लंबा रेल सह रोड पुल है।
इस पुल को चीन के साथ लगती सीमा पर रक्षा साजो-सामान के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन माना जा रहा है। इस पुल की लंबाई 4.94 किलोमीटर है। यह पुल असम के डिब्रूगढ़ को धीमाजी से जोड़ेगा। यह पुल 1987 के असम संधि का हिस्सा है। इस पुल की आधारशिला 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने रखी थी। हालांकि इसका निर्माण कार्य 2002 में अटल सरकार में शुरू किया गया। भारत और चीन के बीच 4000 किलोमीटर की सीमा है ऐसे में यह पुल भारतीय सेना की गतिविधियों में मददगार साबित होगा। पुल के निर्माण में पांच हजार नौ सौ करोड़ की लागत आई है और यह 120 सालों तक निरंतर सेवा दे सकता है।
एशिया के इस दूसरे सबसे बड़े पुल में सबसे ऊपर एक तीन लेन की सड़क है और उसके नीचे दोहरी रेल लाइन है। यह पुल ब्रह्मपुत्र के जलस्तर से 32 मीटर की ऊंचाई पर है। इसे स्वीडन और डेनमार्क को जोड़ने वाले पुल की तर्ज पर बनाया गया है। यह पुल डिब्रूगढ़ से 17 किमी की दूरी पर है। यहां से सबसे नजदीकी सड़क पुल 225 किमी जबकि सबसे नजदीकी रेल पुल 560 किमी दूर है। ऐसे में यह पुल स्थानीय लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।