राजेश पाल की रिपोर्ट
अमेठी : जहां शासन की मंशा सड़कों पर मानक के अनुरूप भार लादकर ट्रक वा लोडिंग की गाड़ियां चले और इसके लिए हर वाहन की अलग अलग लोडिंग की क्षमता निर्धारित की गई है, जिससे ना सड़क उखड़े और ना ही राजस्व का नुकसान हो। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते जहां एक तरफ राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है वहीं दूसरी तरफ सड़के भी खस्ताहाल होती जा रही है। 10 चक्का और 12 चक्का ट्रक बॉडी से ऊपर तक मौरंग लादकर बेधड़क आए दिन क्षेत्र में दिखाई देती है, जिनकी वजह से क्षेत्र की सड़कें गड्ढे में तब्दील हो चुकी हैं। इन 10 चक्का और 12 चक्का ट्रकों में लगभग 50 से 60 टन के करीब मौरंग लदी होती है। अब सोचने की बात यह है की बांदा या चिल्ला से लेकर शुकुल बाजार तक कई आरटीओ और अन्य अधिकारियों को गच्चा देकर आखिर कैसे शुकुल बाजार तक पहुंचते हैं।
यह ट्रक यह अधिकारियों की लापरवाही वभ्रष्टाचार को दर्शाता है जो आए दिन सड़कों पर दिखाई देता है। एक प्रकार से सरकार की मंशा के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। दूसरी तरफ राजस्व को भारी नुकसान कर रहे हैं। तीसरी तरफ सड़कों को गड्ढों में तब्दील कर रहे हैं ओवरलोड वाहन। क्षेत्रवासियों का कहना है कि आखिर किसकी सह से चल रहे हैं ओवरलोड वाहन। जहां से यह मौरंग की गाड़ियां चलती है वहां से शुकुल बाजार की दूरी कम से कम ढाई सौ से 300 किलोमीटर के बीच की है। इस दूरी के बीच में कई जिले पड़ते हैं और कई आरटीओ और प्रशासनिक अधिकारी भी रहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे इतनी ओवरलोड गाड़ियां शुकुल बाजार पहुंच रही हैं। शासन की मंशा के खिलाफ और भारी राजस्व के साथ साथ सड़कों को बर्बाद कर रही हैं।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि जहां यह अधिकारी गरीबों के लिए नियम और कानून की बात करते हैं वहीं बड़े आदमी पैसे के बल पर या रसूख और पहुंच के बल पर गैरकानूनी काम करते हैं और जिसका सीधा सा उदाहरण ओवरलोड मोरंग के ट्रक है।