नई दिल्ली : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कार्यकाल के खत्म होने के बाद रंजन गोगोई ने देश मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी कमान संभाल ली है। रंजन गोगोई ने देश के 46 वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। रंजन गोगोई पहले पूर्वोत्तर भारतीय हैं, जिन्होंने देश मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। उनका कार्यकाल 17 नवंबर, 2019 तक रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश के सामने कामकाज की लंबी फेहरिस्त होगी लेकिन इनसबके बीच पिछले कई वर्षों से विवादों में रहा अयोध्या मंदिर विवाद सबसे ऊपर है। इसे निपटाना उनकी अभी की सबसे बड़ी चुनौती होगी। पिछले आठ वर्षों से भी अधिक समय से चला आ रहा देश का यह सबसे अहम मुद्दा है जिसपर देश- दुनिया की निगाहें टिकीं हैं।
न्यायाधीश गोगोई के पिता मुख्यमंत्री थे। इसके बावजूद वह नेताओं और राजनेताओं के खिलाफ सख्त हैं और सख्ती से कानून का पालन करते हैं और कराते हैं। बता दें कि पहले जिन मुकदमों की सुनवाई उन्होंने की थी उसमें नेताओं पर चल रहे आपराधिक मुकदमों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत बनाने का भी निर्देश दिया था।
गोगोई इस बेंच का हिस्सा थे जिसने 2013 में आपराधिक पृष्ठभूमि का पूरा ब्यौरा दिये बगैर नेता चुनाव नहीं लड़ सकते वाला फैसला सुनाया था। सरकारी खर्च पर विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर छापने से रोकने के लिए आदेश देने के अलावा उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों को दिए गए सरकारी बंगलों के आवंटन को रद्द करने का फैसला भी इन्होंने ही दिया था। अब उनकी बड़ी चुनौती होगी आने वाले चुनावों में नेताओं की अनैतिकता और गैर कानूनी कामों पर अंकुश लगाना।
जस्टिस गोगोई के फैसले के बाद ही असम में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) का नियम लागू हुआ। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में लंबी प्रक्रिया के बाद बनी लिस्ट के अनुसार असम में 40 लाख लोग अपनी नागरिकता के दावों को साबित नहीं कर पाए। जस्टिस गोगोई की बेंच ने दावों और आपत्तियों की सुनवाई के लिए और अधिक समय देते हुए दस्तावेजों के बारे में नये दिशा-निर्देश जारी किए हैं।