योग गुरु बन यह सरकारी कर्मचारी हर दिन पूरे इलाके को मुफ्त में दे रहे ट्रेनिंग

द्वारकेश बर्मन की रिपोर्ट :

लखनऊ : एक सच्चा इंसान वही होता है जो देश की सेवा करता है। फिर चाहे वह सरकारी सेवाओं में ही तैनात क्यों न हो। जी हां ऐसा ही कर रहे हैं लखनऊ के के रहने वाले मुकेश कुमार सिंह। शहर के बच्चों, युवाओं व बुजुर्गों को रोजाना योग सिखा रहे हैं। वैसे तो योग का महत्व प्राचीन काल से चला आ रहा है, लेकिन योग को महत्व देने वालों की संख्या कम है। लेकिन कम महत्व देने वालों में रहकर मुकेश ने जो योग के प्रति अलख जगाई है वह तारीफे काबिल है।



सरकारी सेवा में होने के बाद व्यक्ति नौकरी व परिवार की चिंता में उलझा रहता है। इसके बाद समय मिलता है तो कोई खेती किसानी में रम जाता है, तो कोई सकून की तलाश में जुट जाता है। लेकिन एक मुकेश सिंह ने इन सब से हटकर देश का भविष्य कहे जाने वाले नौनिहालों के भविष्य बनाने की ठानी ओर साथ ही युवा व बुजुर्गों को भी योग सिखाना शुरू किया।



लखनऊ के रहने वाले मुकेश कुमार सिंह प्रसार भारती के दूरदर्शन के राज्य मुख्यालय में होने के बाद अपने मन में देश की सेवा का भाव लिए हुए कुछ समाज के लिए करना चाहते थे। एक दिन उन्हें प्रधानमंत्री के योग दिवस कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला, जिसके दौरान उन्हे योग सिखाने की सीख मिल गयी। वह लखनऊ के गोमती नगर में स्तिथ ग्यानेश्वर पार्क में सुबह अकेले ही योग करने लगे। जब वह रोजाना योग करते तो बच्चे उन्हें देखकर हंसते थे और उन्होंने उन हंसते हुए बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर निःशुल्क योग सीखना शुरू कर दिया। बस फिर क्या था…..धीरे-धीरे युवा और बुजूर्ग भी उनके साथ जुडने लगे।





आपको यहां यह भी बता दें कि मुकेश ने पिछले एक वर्ष में ताकरीबन 70 किलो से अधिक अपना वजन घटाया है और साथ ही साथ वह दूसरों की मदद में भी सहायक रहे हैं। आज सिर्फ गोमती नगर ही नही बल्की इन्द्रा नगर, सिकंदर बाग और शाहीद पथ व तेलीबाग से भी लोग उनके साथ जुड़ने लगे हैं। इतना ही नही मुकेश सिंह अब इतना प्रचलित हो चुके हैं कि लोग उनहे सोशल मिडिया पर संचालित अलग-अलग एप के माध्यम से उनहे ढूंढ कर फॉलो करने लगे हैं। साथ ही कोई उनसे सीखने की मंशा जाहिर करता है तो कई लोग उनसे अपनी समस्यायें भी साझा करने लगे हैं l




मुकेश कुमार सिंह कहते हैं की अब लोग उन्हें योग वाले गुरुजी के नाम से पुकारते हैं। शुरुआत में मात्र 2 ही बच्चे उनके साथ योग सीखते थे, लेकिन आज बच्चों सहित समूचे इलाके के सैकड़ों लोग उनकी इस सामाजिक निशुल्क योगशाला का हिस्सा है। आसपास के इलाकों में भी यह बिना छत की योगशाला चर्चा का विषय बनी हुई है। मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि “मैं तो अकेला ही चला था,न जाने कब कारवां बन गया”..जो अब कभी रुकेगा नही।



शरीर के लिये जरूरी है योग:-

मनुष्य के शरीर के लिए योग का महत्व अतिआवश्यक है लेकिन लोगों में जागरूकता के कारण योग का महत्त्व कम देने वालो की संख्या ज्यादा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने योग को महत्व देने के लिए 21 जून को विश्व योग दिवस का आयोजन किया। जो 21 जून को पूरे देश में मनाया जाता है। मुकेश कुमार सिंह ने ठान लिया है कि वह अपनी योग की पाठशाला से योग की इतनी बडी फौज तैयार करेंगे कि योग के अलख की ज्योति देश के हर कोने कोने तक फैले। मुकेश को शहर भर में इस काम के लिये कई सरकारी और गैर सरकारी मचों से पुरुस्कार व सम्मान भी मिल चुका है।


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