संतोष यादव की रिपोर्ट :
सुलतानपुर : राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत की गयी जमीनों के मुआवजे में बड़े स्तर पर खेल हो रहा है। जिसमें एक तो किसानों को उनकी जमीन का सही मुआवजा नहीं मिल रहा है, दूसरे जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से निर्धारित रकम से काफी कम रेट पर जमीने अधिग्रहीत की जा रही है। ऐसे में एक ही खाते की जमीन का कई सर्किल रेट लगने का दंश अधिकारियों की गलती से किसान झेल रहे हैं।
मालूम हो कि नेशनल हाई-वे रोड चौड़़ीकरण के लिए सदर तहसील के 10 व लंभुआ तहसील के करीब 35 राजस्व ग्रामों की जमीन अधिग्रहीत की गयी है। जिसमें बाजारों,शहरी क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों,कृषि भूमि, गैर वाणिज्यिक भवन व अन्य शामिल हैं। इस तरीके की अलग-अलग जमीनों व भवनों के नाम पर मुआवजे की रकम भी अलग-अलग ढंग से निर्धारित की जा रही है, जिसमें बड़े स्तर पर खेल हो रहा है। कम पढ़े लिखे किसानों को उनकी जमीन व भवन आदि का मुआवजा बढ़-चढ़कर दिला देने एवं कम करा देने का डर दिखाकर जिम्मेदार अधिकारियों आैर कर्मचारियों के जरिए मुआवजे को लेकर मनमानी तरीके से काम किया जा रहा है। यह खेल काफी समय से होता चला आ रहा है। जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी इस खेल को नजरअंदाज कर रहे हैं।
अधिकारियों की लापरवाही की वजह से किसानों को अपने ही जमीनों का सही मुआवजा पाने के लिए भटकना पड़ा रहा है। यहां तक कि उन्हें अदालतों का भी सहारा लेना पड़ रहा है। जिम्मेदारी अधिकारी, कर्मचारी भी उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर मनमाना रवैया अपना रहे हैं। मुआवजे को लेकर इन्ही तहसील क्षेत्रों में स्थित अभियाकला,पन्ना टिकरी समेत अन्य कई गांवो के ऐसे मामले भी सामने आये हैं,जिनमें लाखों रकम सही भू स्वामियों के बजाय दूसरे ने अधिकारियों से मिल-मिलाकर हड़प लिया है, जिनकी जांच भी कई महीनों से ठंडे बस्ते में है। देखना है कि नवागत जिलाधिकारी इन महत्वपूर्ण विंदुओ पर नजर डालकर परेशान किसानों को उनके मुआवजे का हक दिलाने के लिए क्या पहल करते हैं।