नई दिल्ली : बीते कई दिनों से बीमार चल रहे जैन मुनि तरुण सागर ने शनिवार की सुबह दुनिया को अलविदा कह दिया। तरुण सागर की मौत की सुचना ने उनके लाखों अनुयायियों को गम में डुबो दिया। वो महज़ 51 साल के थे। उनके इस असामयिक निधन से उनके लाखों अनुयायी स्तब्ध हैं। आज दोपहर 3 बजे दिल्ली मेरठ हाइवे पर स्थित तरुणसागरम तीर्थ में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जैन मुनि तरुण सागर का असली नाम पवन कुमार जैन था। मध्यप्रदेश के दमोह जिले के गुहजी गांव में उनका जन्म 26 जून 1967 को हुआ था। उनकी माता का नाम शांतिबाई जैन और पिता का नाम प्रताप चंद्र जैन था। कहा जाता है कि उन्होंने 14 साल की उम्र में 8 मार्च 1981 को घर छोड़ दिया था। उनकी शिक्षा दीक्षा छत्तीससगढ़ में हुई।
जैन मुनि बिना वस्त्रों के घूमा करते थे। वह सांसारिकता के बीच रहकर भी लोगों को अध्यात्म के दर्शन कराते थे। रोजमर्रा के जीवन में आने वाले घुमावदार पड़ावों और उनकी चुनौतियों से जूझने के बेहद आसान तरीके जो उनके पास था उन्हें लोगों को मुहैया करवाता थे। उनके शब्दों और वाणी में एक आग थी। इस आग की वैचारिक अभिव्यक्ति का दायरा उन्हें जैन समाज के दायरे से बाहर निकालकर उनकी दुनिया को व्यापक बना देता था।