निर्माण से पहले की बदहाल सड़क
निर्माण से पहले की बदहाल सड़क

छातापुर : प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के रवैये से निराश ग्रामीणों ने खुद के श्रमदान से की सड़क की मरम्मत

 निर्माण से पहले की बदहाल सड़क
निर्माण से पहले की बदहाल सड़क

रंजीत झा की रिपोर्ट:

छातापुर : बिहार के सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड के लक्ष्मीनियां पंचायत के ग्रामीणों ने आज ‘अपना हाथ जगन्नाथ’ की कहावत को सिद्ध कर दिखाया। जी हाँ, जिस प्रशासन और सरकार से जुड़े लोग ग्रामीणों के बेहतरी के लिए तरह-तरह के कदम उठाये जाने का दावा करते हैं, उसी प्रशासन और सरकार से जुड़े लोगों के मुंह पर ग्रामीणों ने अपने अथक प्रयास से जोरदार तमाचा जड़ा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं गाँव के उस बदहाल सड़क की, जिसके निर्माण की राह तकते-तकते आख़िरकार ग्रामीणों के सब्र का बाँध टूट गया और फिर ग्रामीणों ने अपने श्रमदान से एक किलोमीटर सड़क का निर्माण कर लिया। ग्रामीणों के इस प्रयास की इलाके में जमकर प्रशंसा हो रही है।

दरअसल गांव के वार्ड नंबर 10 के टेढ़ी मोड़ से उदित झा के घर तक की लगभग 1 किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क के कायाकल्प के लिए बरसों से ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की राह देख रहे थे, लेकिन प्रशासन को इन ग्रामीणों की समस्या से कोई लेना देना नहीं है। हर बार चुनाव में उम्मीदवार क्षेत्र में परिवर्तन की बात कह ग्रामीणों से वोट तो बटोर लेते हैं, लेकिन ग्रामीणों की हालत जस की तस बनी रहती है।


सबसे ज्यादा समस्या बरसात के दिनों में होती है, जब पूरी सड़क कीचड़ से सराबोर हो जाती है। इस रास्ते से होकर गुजरना ग्रामीणों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं था। ग्रामीणों का कहना है कि इस कच्ची सड़क के जीर्णोद्धार के लिए अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों, सांसद रंजीता रंजन व विधायक नीरज कुमार ‘बबलू’ तक से गुहार लगाई, लेकिन आश्वासन के सिवा ग्रामीणों को कुछ भी नहीं मिला। ग्रामीणों ने कहा कि मुख्य पथ से गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं होने के कारण गांव आने वाले अतिथि भी कह देते थे- कितना पिछड़ा गांव है। अभी तक सड़क भी नहीं बनी।

आखिरकार ग्रामीणों ने मिलकर निर्णय लिया की मुख्य सड़क को जोड़ने वाली इस कच्ची सड़क के पुनरुद्धार के लिए अब वो प्रशासन की राह नहीं देखेंगे और खुद के श्रमदान से सड़क को ठीक करेंगे। इस निर्णय के बाद ग्रामीणों ने मिलकर सड़क पर खुद के श्रमदान से मिट्टी डालकर सड़क को ठीक किया। ग्रामीणों के इस प्रयास से अब मुख्य सड़क को जोड़ने वाली इस सड़क से होकर आवागमन सुलभ हो गया है।


इस प्रक्रिया में गांव के युवाओं का विशेष योगदान रहा। श्रमदान कर सड़क बनाने वालों में मनीष झा, सतीश झा, अरुण झा, रिकेश झा, मन्ना झा, पुलटुन झा, रोहित झा, सुमन झा, विकास झा ‘नुनु’, कुंदन, प्रेमचंद, प्रियांशु व अन्य कई लोगों का योगदान रहा। इस मौके में गांव के सभी लोग काफी खुश नज़र आये और सबका कहना है कि अब देखिये हमारे गांव से भी मुख्य पथ जाने के लिए भी सड़क बन गई है। भले ही कच्ची सड़क हो।



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