सहाबुद्दीन अहमद की रिपोर्ट :
बेतिया : आजकल बेतिया नगर परिषद केवल घोषणाओं की परिषद बनी हुई है। बेतिया नगर परिषद की चेयरमैन गरिमा देवी दैनिक समाचार पत्रों की सुर्खियां बन कर रह गई है। सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। आम नागरिक, जो करदाता हैं, उनका कर लगभग 20 गुना बढ़ा दिया गया है, मगर सफाई व अन्य व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। शहर में कूड़ा-करकट का अंबार लगा हुआ है। नालियों की बजबज और बदबू से आवागमन बाधित हो रहा है। शहर में बिजली की व्यवस्था भी नहीं के बराबर है।
नगर परिषद कार्यालय में भी शिकायत लेकर जाने पर कोई सुनने वाला नहीं है, ना ही कोई शिकायत पेटी रखी गई है, जहां लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सके। नगर पार्षदों की आपसी गुटबाजी, खींचतान व नारेबाजी ही मुख्य कार्य हो गया है। आवंटन प्राप्त होने के बाद भी शहर के 40 वार्डों में कोई काम नहीं हो रहा है। नगर परिषद के चेयरमैन नगर पार्षदों के बीच काम के बंटवारे को लेकर टेंडर का बहाना बनाकर काम नहीं हो पा रहा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 गुजर जाने के बाद भी राशि पड़ी रह गई, मगर टेंडर नहीं होने के कारण कोई काम नहीं हो सका। नगर पार्षदों की आपसी खींचतान से वार्ड की जनता को बेवकूफ बनाया जाए रहा है। अब जनता वोट देने के बाद पछता रही है।
नगर परिषद के चेयरमैन वह उप चेयरमैन तथा पार्षद गण एक दूसरे पर इल्जाम लगाने का काम कर रहे हैं। नगर परिषद कार्यालय प्रतिदिन दैनिक समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी हुई हैं और केवल झूठा आश्वासन, विकास के नाम पर झूठी परंपरा की बुनियाद डाली जा रही है। नगर परिषद के कर संग्राहक भी कर लेना नहीं चाहते हैं। आम जनता कर देने के लिए तैयार है, मगर आपसी गुटबाजी बाधक बनी हुई है। ऐसे में बेतिया नगर परिषद को घोषणा की सरकार कहा जाए या नगर परिषद को नरक परिषद कहा जाए तो कोई आपत्ति नहीं होगी।