नई दिल्ली : पिछले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा, जबकि इन राज्यों में बीजेपी की सरकार थी। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में एक दशक से ज्यादा समय से बीजेपी सत्ता में थी जबकि राजस्थान में बीते 5 सालों से बीजेपी सत्ता में थी, जहां कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया।
विधानसभा चुनाव में किसानों का मुद्दा जोर-शोर से उठा और किसानों का मुद्दा चुनावी मुद्दा बना। इससे पहले केंद्र की मोदी सरकार यह मानकर चल रही थी कि उन्होंने जो योजना शुरू की है, उनसे किसानों को भी सीधा लाभ मिल रहा है और इनका लाभ बीजेपी को विधानसभा चुनाव में मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस की तरफ से किए गए किसानों की कर्ज माफी के वादे ने बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया, लिहाजा इन राज्यों में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
वहीं इन राज्यों में मिली हार से सबक लेते हुए अब मोदी सरकार देश के किसानों को खुश करने में जुटी है। खबरों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार किसानों के हितों को ध्यान रखते हुए कई योजनाएं शुरू कर सकती है, जिनका सीधा लाभ देश भर के किसानों को मिलेगा।
प्रत्येक सीजन में किसानों को प्रति एकड़ चार हजार रुपये दिए जाएंगे। यह पैसा सीधे किसानों के खाते में डाला जाएगा। हालांकि यह पैसा किसानों को कुछ शर्तों के साथ मिलेगा। इस पैसे की मदद से किसान खेती के दौरान होने वाले खर्च को आसानी से पूरा कर सकेंगे। खेती के दौरान किसानों का मुख्य खर्च बीज, खाद, सिंचाई और फसल की पैदावार होने पर मंडी तक की जाने वाली ढुलाई पर होता है।
किसानों को इस योजना का लाभ पाने के लिए कुछ जरूरी शर्तों को पूरा करना पड़ेगा। इन शर्तों में उपज को बेचने का समय, खरीददार की डिटेल, किसान का आधार कार्ड, फसल की मात्रा, जमीन का विवरण अन्य इन सभी डाटा को फसल की बिक्री के समय इकट्ठा किया जाएगा। केंद्र सरकार इसके बाद ब्याज मुक्त लोन भी देने का एलान भी कर सकती है, जिससे किसानों पर ज्यादा आर्थिक बोझ न पड़े। किसानों को एक लाख रुपये का ब्याज मुक्त लोन भी मिलेगा।
हालांकि अब सरकार किसानों द्वारा पहले लिए गए कर्ज को माफ नहीं करेगी। सरकार का मानना है कि कर्ज माफी से बैंकों की सेहत पर असर पड़ेगा। ब्याज मुक्त लोन देने से सरकार पर करीब 2.30 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सरकार इसकी घोषणा यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) के तहत करेगी।