कटिहार : कोढ़ा का मधुरा विद्यालय आदर्श घोषित, मगर संसाधनों का घोर अभाव

तौक़ीर रज़ा की रिपोर्ट :

कटिहार : सरकार आए दिन शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए तरह तरह की मंसूबे बना रही है तो वहीँ दूसरी ओर शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकार के आदेश का महज खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि सरकार के आदेश अनुसार शिक्षा विभाग को यह आदेश जारी किया गया कि जिले के हर प्रखण्ड से दो पंचायत के विद्यालय को आदर्श के रूप में चयन करने के लिए पहल किया जाना है।




ऐसे में कोढ़ा प्रखण्ड के दो विद्यालय को भी आदर्श विद्यालय में चयन किया गया है।एक शिशिया मध्य विद्यालय,दूसरा उत्क्रमित मध्य विद्यालय कन्या मधुरा को आदर्श बनाया गया है। अगर बात करें उत्क्रमित मध्य विद्यालय कन्या मधुरा की तो यहां नामांकन बच्चे 936 पर मात्र 9 शिक्षक में एक सीआरसीसी के पद पर कार्यरत है। ऐसे में कैसे बहाल होगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ? महज शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकार के आदेश की खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं।




आप को बता दें कि प्रधान अध्यापक रमानन्द जमादार ने विद्यालय की समस्याओं को लेकर पत्रकारों को बताया कि विभाग के दुवारा ही इन विद्यालय को आदर्श विद्यालय के रूप में चयन किया गया है, कोढ़ा प्रखण्ड से दो विद्यालय है। एक अपना भी विद्यालय को आदर्श के रूप में चयन किया गया है। अगर सरकार विद्यालय को आदर्श के रूप में देख रही है तो आदर्श विद्यालय के लिए संसाधनों की अति आवश्यकता है। पहला तो यह है कि हमारे यहां बच्चे अधिक हैं, लेकिन शिक्षक बहुत ही कम है। पहले 12शिक्षक थे, तीन दूसरे नॉकरी में चले गए। अब मजह 9 शिक्षक में एक सीआरसीसी पद पर चले गए। अभी मात्र 8शिक्षक है। बच्चों की उपस्तिथि 500 से600 होती है। ऐसे में विद्यालय चलाना बड़ी कठिन काम है और यहां विषयवार शिक्षक भी नहीं है। ऐसे में शिक्षा देना दुश्वार है।ह म प्रधान अध्यापक आपके माध्यम से विभाग का ध्यान अपने विद्यायल की ओर आकर्षित कराना चाहते हैं कि जिन विद्यालय में जहां बच्चों की अनुपात में शिक्षक अधिक है उन विद्यालय से हमारे यहां कम से कम 6 शिक्षक निश्चित रूप से समायोजन किया जाए ताकि पठन पाठन का कार्य सुचारू रूप से हो सके। हमारे यहां खेल का मैदान भी नहीं है तब भी जो खेल इस छोटा सा फिल्ड में खेला जा सकता है। कबड्डी वगैरह इन्हीं खेलों में से हमारे यहां के बच्चे प्रखण्ड स्तरीय नहीं बल्कि जिला स्तरीय टॉप कर राज्य स्तरीय में कब्जा जमाए है। एक छात्रा जो 8वर्ग की थी वह जिला स्तरीय टॉप कर राज्य स्तरीय में जगह बनाई। इन छोटे से फिल्ड में भी जो खेल आसानी से हो सके उसे खेलाते हैं और सफलता प्राप्त होती है।




सनद रहे की शारीरिक शिक्षक रंजन कुमार ने भी शिक्षकों की घोर कमी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा बहाल करने की बात करती है। हमारे यहां बच्चे अधिक है मगर शिक्षक की बहुत कमी है। ऐसे में कैसे होगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहाल ? सरकार और शिक्षा विभाग के आला अधिकारी अविलम्ब इन विद्यालय में शिक्षक बहाल करने की कोशिश करें, ताकि यहां पढ़ने वाले बच्चों की भविष्य अंधेकार होने से बच सके और विद्यालय में पूरी तरह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहाल हो सके।




इन विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक, आधारभूत सुविधाएं जैसे कक्षा कक्ष, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, चार दीवारी, प्रयोगशाला, कंप्यूटर, इंटरनेट आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए तब जाकर हो सकता है आदर्श विद्यालय।



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