संतोष गुप्ता की रिपोर्ट :
चन्दौली : शहाबगंज कस्बा स्थित सिंचाई विभाग के डाक बंगले पर अखिल भारतीय किसान सभा का स्थापना दिवस मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष पूर्व प्रधान कैलाश नाथ मौर्य ने किया। सम्मेलन के मुख्य वक्ता किसान सभा के जिला मंत्री लालचंद सिंह एडवोकेट ने कहा कि आज देश के लोगों का जीवकोपार्जन 70% किसानों पर आधारित है, फिर भी अन्नदाता किसान देश में बदहाल है। आज कृषि घाटे का सौदा हो गई है। एक तरफ देश की आजादी का 70वां वर्ष मनाया जा रहा है, दूसरी तरफ सबका पेट भरने वाला अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहा है। किसानों के गल्ले का डेढ़ गुना दाम देना तो दूर, किसानों को मिलने वाली सब्सिडी भी खत्म करके किसानों का जीवन सरकार ने दूभर कर दिया है। यहां तक कि गत वर्ष हुई ओलावृष्टि से बर्बाद फसल का मुआवजा तक नहीं बांटा गया। दूसरी तरफ देश के लोगों का करोड़ों रुपया लेकर नीरव चला जाता है।
किसान सभा की स्थापना 11 अप्रैल 1936 ईस्वी को लखनऊ में किसानों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए की गई, जिसकी प्रथम बैठक में स्वामी सहजानंद सरस्वती को अध्यक्ष बनाया गया और किसान सभा द्वारा एक संघर्ष का आरंभ किया गया। तेलंगाना आंदोलन, भूमि सुधार आंदोलन जैसे तमाम आंदोलन लंबे समय से चलाए जा रहे हैं ।वक्ताओं ने स्थानीय समस्या पर भी गंभीर मंथन किया।
शहाबगंज में कर्मनाशा नदी पर निर्माणाधीन पुल का निर्माण कार्य काफी दिनों से रुका हुआ है, उसे अतिशीघ्र पूरा करने की मांग की गई। आवास के लाभार्थियों से हुई लूट-खसोट का जांच कर उनका आवास पूर्ण कराने, नालों की सफाई कराने ,गेहूं खरीद ,सभी किसानों का कर्ज माफ करने तथा बिजली का निजीकरण रोकने की मांग की गई। इसके लिए संघर्ष करने का आह्वान नेताओं द्वारा उपस्थित जनसमूह से किया गया और 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के अवसर पर चकिया में विशाल रैली निकालने की योजना बनाई गई।
उक्त अवसर पर स्वामीनाथ यादव पूर्व प्रधान चंद्रमा राम बाबा छविनाथ यादव रामजीवन विश्वकर्मा राधेश्याम गोपाल छोटे लाल गुलाब भुवनेश्वर प्रभावती देवी सुखरानी परम शीला आदि ने विचार व्यक्त किए।