वाराणसी प्रधानमंत्री, भारत सरकार नरेन्द्र मोदी द्वारा आज दिनांक 19 फरवरी, 2019 को दुनिया का पहला डीजल से विद्युत में परिवर्तित 10000 अश्व शक्ति का ट्विन रेल इंजन राष्ट्र को समर्पित किया गया । डीजल रेल इंजन कारखाना, वाराणसी में आयोजित लोकार्पण समारोह में माननीय प्रधानमंत्री ने इस उच्च अश्व शक्ति के मालवाहक डब्ल्यूएजीसी3 रेल इंजन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया । लोकार्पण से पूर्व माननीय प्रधानमंत्री ने रेल इंजन के बारे में आकर्षक प्रदर्शनी, वीडियो फिल्म एवं रेल इंजन कैब का अवलोकन किया । इस अवसर पर माननीय राज्यपाल, उत्तर प्रदेश श्री राम नाईक, मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ, रेल राज्य मंत्री एवं संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा एवं संसद सदस्य चन्दौली डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय उपस्थित थे ।
प्रधानमंत्री ने विद्युत रेल इंजन के निर्माण में लगे डीएलडब्ल्यू, सीएलडब्ल्यू एवं आरडीएसओ के कर्मचारियों तथा अधिकारियों को बधाई दी एवं ग्रुप फोटो लिया गया । प्रधानमंत्री का स्वागत सदस्य/कर्षण, रेलवे बोर्ड श्री घनश्याम सिंह एवं महाप्रबंधक, डीरेका श्रीमती रश्मि गोयल ने किया ।ट्विन को-को डब्ल्यूएजीसी3 विद्युत रेल इंजन के बारे में – भारतीय रेल ने डीजल की बचत एवं पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सम्पूर्ण विद्युतीकरण का निर्णय लिया । इसके अंतर्गत डीजल इंजनों के स्थान पर विद्युत रेल इंजनों के निर्माण का निर्णय लिया गया । डीरेका ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए विद्युत रेल इंजनों के निर्माण के साथ ही पुराने डीजल रेल इंजनों को भी विद्युत रेल इंजन में परिवर्तित करने का ऐतिहासिक कदम उठाया । 28 फरवरी, 2018 को डीरेका ने 2600 अश्व शक्ति वाले पुराने डब्ल्यूडीजी3ए डीजल रेल इंजन को 5000 अश्व शक्ति विद्युत रेल इंजन में रूपांतरित कर डब्ल्यूएजीसी3 रेल इंजन की पहली इकाई का निर्माण किया । इससे ट्रैक्शन एचपी में 92% की वृद्धि हुई । इस रेल इंजन की दूसरी इकाई 30 मार्च, 2018 को तैयार की गयी । इन दोनों इकाईयों को स्थायी रूप से जोड़कर डीरेका ने 10000 अश्व शक्ति क्षमता के ट्विन को-को डब्ल्यूएजीसी3 विद्युत रेल इंजन का निर्माण किया । विश्व में इतने अधिक अश्व शक्ति के डीजल से विद्युत में रूपांतरित रेल इंजन का सफलतापूर्वक निर्माण पहली बार करके डीरेका ने कीर्तिमान स्थापित किया । रेलवे बोर्ड के मार्गदर्शन में डीरेका ने चितरंजन रेल इंजन कारखाना एवं आरडीएसओ की मदद से यह कठिन और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य हासिल किया है। रूपांतरण का कार्य संकल्पना से निर्माण तक मात्र 69 दिनों के रिकॉर्ड समय में किया गया । इस रेल इंजन से पर्यावरण संरक्षण तो होगा ही राजस्व की भी बचत होगी ।