श्रीनिवास सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ बंथरा आज जहां केंद्र व प्रदेश की सरकारें शहरों में चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी अधिकतम समय सीमा तक विद्युत की आपूर्ति करने के तमाम दावे कर रही है । व समय-समय पर अपनी सभाओं में इसका श्रेय लेकर अपनी पीठ भी थपथपा रही है । परंतु हकीकत क्या है, यह तो धरातल पर आ कर ही पता लगता है । ताजा मामला राजधानी के विद्युत वितरण खंड शेष प्रथम के गहरू उप केंद्र से पोषित होने वाले हरौनी फीडर समेत सभी फीडरों का है । जहाँ की बिजली बीते गुरुवार शाम को बंद होने के लगभग 12 घंटे के बाद ही चालू हो पाई । जिससे भीषण गर्मी में तमाम ग्रामवासी तो परेशान हुए ही साथ ही धान की रोपाई का मौसम होने के कारण किसान भी परेशान हुए व लाइट आने का इंतजार करते रहे । बात अगर शहरी क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति की लाइनों कि की जाए तो वहां पर तो तार व खंभे नियमित रूप से बदले जाते हैं । परंतु ग्रामीण इलाकों में जिन खंभों व तारों के सहारे विद्युत आपूर्ति की जाती है वह कई वर्ष पुराने ही लगे हैं जोकि बहुत ही जर्जर व जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं । तारों की हालत तो यह है कि एक ही खंबे के बीच में कई टुकड़ों को जोड़कर सप्लाई जारी की जाती है । परंतु विद्युत विभाग इन खंभों व तारों को बदलने की ओर कतई ध्यान नहीं दे रहा । किन्तु समय-समय पर उपभोक्ताओं से वसूली व उनको विद्युत कनेक्शन का विच्छेदन करने की धमकी अवश्य देता रहता है । इस संबंध में जब उपखंड अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उपखंड में आने वाली 33,000 केवी की सप्लाई में खराबी आ जाने के कारण उपखंड से पोषित होने वाले फीडरों की आपूर्ति में बाधा हुई ।