चक्रवातों के नामकरण की कहानी भी है दिलचस्प-डा०गणेश पाठक

बलिया अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा बलिया के पूर्व प्रचार्य भूगोलविद् डा० गणेश कुमार पाठक ने एक भेंटवार्ता में बताया कि प्रत्येक चक्रवात का अपना एक नाम होता। चक्रवातीय तूफानों के नामकरण की कहानी भी बेहद दिलचस्प है।

डा० पाठक के अनुसार किसी भी चक्रवातीय तूफान का नामकरण करने हेतु अंग्रेजी अक्षर के अल्फावेट ( वर्णमाला) के अनुसार एक सूची पहले से ही बनी होती है। किन्तू अल्फावेट में Q U X Y Z अक्षरों से प्रारम्भ होने वाले नामों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

डा० पाठक ने बताया चक्रवातों के नामकरण की शुरूआत 1950 से हुई मानी जाती है, जब आन्ध्र महासागर एवं पूर्वी- उत्तरी प्रशान्त महासागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले चक्रवातीय तूफानों के नामकरण हेतु छः नामों की सूची तैयार की गयी है , जिनमें से एक नाम का चयन किया जाता है। आन्ध्र महासागरीय क्षेत्र में आने वाले तूफानों के लिए 21 नामों की सूची तैयार की गयी है। चक्रवातीय तूफानों के नामकरण हेतु सम एवं विषम वर्षों ( Year) का प्रयोग किया जाता है। सम वर्ष जैसे- 2002, 2008, 2014 में यदि चक्रवातीय तूफान आया है तो उसके लिए सूची में से पुरूष के नाम का चयन किया जाता है , जबकि विषम वर्ष में आने वाले तूफानों जैसे- 2003, 2007, 2011 में आने वाले चक्रवातीय तूफानों के लिए सूची में से एक स्त्री के नाम का चयन किया जाता है। एक नाम छः साल के अन्दर दुबारा प्रयोग में नहीं लाया जाता है। यही नहीं यदि किसी तूफान से भयंकर तबाही होती है तो उसे भी सूची से बाहर कर दिया जाता है।

डा० पाठक ने बताया कि  अपने देश में चक्रवातीय तूफानों के नामकरण की शुरूआत 2004 हुई। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांगलादेश, थाईलैण्ड, म्यानमार, ओमान एवं मालदीव द्वारा चक्रवातीय तूफानों के नामकरण हेतु एक सूची तैयार कर “विश्व मौसम विज्ञान संगठन” के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जब इन देशों में कहीं पर तूफान आता है तो इसी सूची में से बारी- बारी से एक नाम का चयन किया जाता है, जो इस प्रकार है-

1.बांग्लादेश- ओनील, ओग्नी, गिरि, हलेन, चपाला, ओक्क्षी एवं फानी( फणी)।

2. भारत- अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर एवं वायु।

3.मालदीव – हिबारू, गोनू, ऐला, केइला, माडी, रोआनू, माइनू एवं हीका।

4. म्यानमार – प्यार, थेमाइन, फाइआन, थाबो, ना- नौक, क्यान्त, दाय एवं क्यार्ब।

5. ओमान – बाज, सीडर, वार्ड, मुर्जन, हुदहुद, नाडा, लुबान एवं माहा।

6.पाकिस्तान – फानूस, नरगिस, लैला, नीलम, निलोफर, वरदह, तीतली एवं बुलबुल।

7. श्रीलंका – माला, रश्मि, बांदू, महासेन, प्रिया, असीरी, जीगुम एवं सोबा।

8. थाईलैण्ड – मुक्दा, खायन्मुक, फेट, फैलीन, कोमेन, मोरा, फेथाई एवं अम्फान।

इन्हीं नामों में से क्रमानुसार बारी- बारी से हिन्दमहासागर ( खासतौर से बंगाल की खाड़ी से जुड़े देशों) एवं अरबसागर से जुड़े इध आठ देशों द्वारा  तूफानों का नामकरण किया जाता है । चूँकि इस बार तूफान के नामकरण की बारी बांग्लादेश की थी, इसलिए बांग्लादेश के सुझाव पर ही इस तूफान का नाम ‘ फानी’ , जिसे फैनी , फनी एवं फोनी भी कहा जा रहा है। बांग्लादेश में’ फानी’ का मतलब साँप के फन से होता है, इसी लिए इसे  ” फणी” भी कहा जा रहा है। चूँकि साँप का फन वैसे ही भयावहता का प्रतीक होता है , इसी लिए सम्भवतः इस तुफान की भयानकता का अंदाजा लगाते हुए ही बांग्लादेश द्वारा इस समुद्री चक्रवातीय तूफान का नाम ” फानी” रखा गया है, जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु तट से लगभग 800 किमी० दूर बंगाल की खाड़ी में 29 अप्रैल  को ही हो गयी थी, और आगे बढ़ते हुए यह तूफान तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में भी काफी वर्षा करते हुए जब उड़ीसा के तटवर्ती क्षेत्रों से 3 मई, 2019 को प्रातः 8 बजे टकराया तो इसका स्वरूप काफी भयानक हो चुका था और 175 – 245 किमी० प्रति घण्टे की गति से प्रवाहित हवाओं के साथ जब घनघोर वर्षा किया तो काफी धन- जन की क्षति हुई।

यद्यपि इस फणी तूफान के आने की सूचना एक सप्ताह पूर्व ही हो चुकी थी, इसलिए राज्य सरकारों एवं केंन्द्र सरकार द्वारा काफी ऐतिहात बरते गए , जिसके चलते इस तूफान की भयावहता की तुलना में बहुत ही कम नुकसान हुआ है।

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