तौक़ीर रज़ा की रिपोर्ट :
कटिहार : कोढ़ा प्रखंड के विनोद पुर, राजवाड़ा,उत्तरी सिमरिया,दक्षिण सिमरिया दिघ्री पंचायत,व कटिहार टोला के नहर में कई महीनों से पानी होने के वावजूद क्षेत्र के हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि की सिंचाई नहीं हो पा रही है। जिससे मक्का की फसल सूखने की कगार पर है और किसान निजी पम्प सेट से सिंचाई करने पर मजबूर हो रहे हैं। किसानों में विभागीय अधिकारियों के प्रति काफी आक्रोश व्याप्त है।
गौरतलब है कि नहर में पानी रहने पर भी किसानों के उपयोग में नहीं है, जबकि नहर में पानी होने के बावजूद वह किसान अपने खेतों में सिंचाई नहीं कर पाते हैं, क्योंकि नहर से छहर में पानी जाने की कोई व्यवस्था नहीं हैं, न ही कभी छहर की बीचों-बीच मिट्टी, गाद, जंगल, टूटी-फूटी अवस्था में छहर पड़ी हुई है। छोटी बड़ी नाला कि साफ सफाई के अभाव में किसान मजबूर हैं।
विनोदपुर पंचायत के एक स्थानीय वार्ड सदस्य मदन कुमार और उस के समर्थकों ने बताया कि एक भी माइनिंग की स्तिथी ठीक नहीं है जिस कारण नहर का पानी नदी में बह कर बर्बाद हो रहा है। वहीँ किसान अपने खेतों में पानी पटवन करने के लिए तरस रहे हैं। वहीँ इस क्षेत्र में तीन वाटर कोष से जो पूरी तरह से बेकार पड़ा हुआ है। वाटर कोष जंगल और मिट्टी से भड़ा पड़ा हुआ है। किसानों का मक्का फसल पानी के लिए तरस रहा है। सिंचाई विभाग किसानों के खेत तक पानी पहुंचाने के नाम पर सरकारी राशि की बन्दर बाँट कर रहे हैं। नहर में पानी तो है मगर सिर्फ खाना पूर्ति करने के लिए। इतना कम पानी दिया जा रहा है जो सिर्फ नहर के निचले स्तर पर सिमट कर रह गया है। ऐसे में कैसे पहुंचेगा किसानों के खेत तक नहर का पानी ? वह भी पानी नहर से बह कर किसानों के खेत तक नहीं पहुंच कर नदी में बह रहा है पानी।
किसान अपने साल भर की गाढ़ी कमाई को बर्बाद होते देखने को विवश है। कोढ़ा प्रखण्ड के अधिकांश गांव के किसान नहर के पानी के भरोसे ही खेती करते थे। लेकिन जब खेतों में पानी की आवश्यकता पड़ती है, तो नहर से पानी नदारद हो जाता है। जिसके कारण हजारों एकड़ मक्का और धान की फसल सूख जाती है। स्थानीय जन प्रतिनिधि और किसान इत्यादि का कहना है कि नहर में पिछले कई महीनों से पानी है, मगर किसान को इसका लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि नहर के पानी से सिंचाई होने पर किसानों को रामबाण की तरह फायदा होता है। मगर कर्मचारी, जेई, एसडीओ के लापरवाही के कारण किसानों के खेत तक नहर का पानी नहीं पहुंच पाता है।
अब फसलों को बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभाग के अधिकारियों को लिखित प्रार्थना-पत्र देकर नहर की पानी से सिंचाई के लिए छहर कि साफ-सफाई व छोटी-बड़ी नाला बनवाने की मांग की गई है। किसानों ने कहा कि यदि जल्द नहर से सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई तो किसान लोग रोड पर आकर आन्दोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे।
देश का पेट भरने वाला किसान आज परेशान है, देश और प्रदेश में तमाम तरह की किसानों के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जमीन पर उस की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। किसानों को जो सरकारी लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। कटिहार जिले के ज्यादातर किसान खेती बाड़ी पर आश्रित हैं। खेती किसानी के जरिए ही यहां के ज्यादातर किसान बच्चों की पढ़ाई लिखाई, लड़कियों की शादी विवाह करते हैं। मक्का की फसल यहां की एक मात्र नगदी फसल है। अब सूखे की आशंका ने किसानों की रातों की नीद हराम कर दी है। बारिश न होने की वजह से मक्का फसल सूखने लगी है।
सरकार की तरफ से लगाए गए स्टेट बोरिंग बीमार हैं। करोड़ों की लागत से बनी नहरों में पानी नहीं है,वाटर कोष सुख रहे हैं,नहरों की कई सालों से सफाई तक नहीं कराई गई है,ऐसे में किसानों को मक्का की फसल की सिंचाई में परेशानी हो रही है। बारिश न होने की वजह से सबसे ज्यादा छोटे और गरीब किसानों पर प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार अविलम्ब किसानों की समस्याओं को दूर करें ताकि किसान खुशहाल जीवन बिता सके। नहर से किसानों के खेत तक पानी पहुंच सके।
उक्त मामले को लेकर जब सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता से पूछा गया कि जब नहर में पानी छोड़ा गया है तो किसान के खेत तक पानी क्यों नहीं पहुंच रहा है, कोढ़ा प्रखण्ड क्षेत्र के एक भी किसान के खेत में नहर का पानी नहीं पहुंच रहा है सारे वाटर कॉस में जंगल भरा पड़ा हुआ है, एक भी माइनर की स्थिति ठीक नहीं है, एक भी मजदूर से काम नहीं लिया जा रहा है,ऐसे में सिंचाई विभाग के अधिकारी मौन धारण करते हुए अविलम्ब सारी समस्याओं को दूर करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सिंचाई विभाग के अधिकारी महज खाना पूर्ति कर सरकारी राजस्व की बन्दर बाँट करने में लगे हुए हैं।