कटिहार मिली जानकारी के अनुसार अब कुहासे में भी ट्रेनो का परिचालन होगा नियमित

कटिहार से विक्की कुमार की रिपोर्ट :

 

कटिहार रेल, 28 दिसम्बर (आ.द.)। भारतीय रेल यात्रियों को अक्सर नवम्बर से ही कोहरे में लेट परिचलन से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक तो ट्रेन घण्टो लेट परिचालित होती है वहीं दूसरी ओर रेल प्रशाशन द्वारा कई ट्रेनों को रद्द कर दिया जाता है। इसी क्रम में इस समस्या से निजात पाने हेतु भारतीय रेल में नई तकनीक का ट्रायल किया जा रहा है। अब रेल से सफर करने वाले यात्रियों को कोहरे से डरने की जरूरत नहीं है ।

रेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहली बार भारतीय रेल एक ऐसा उपकरण पेश करने के लिए तैयार है, जो सुरक्षा के साथ समझौता किए बिना घने कोहरे में प्रति घंटे 100 किलोमीटर की गति से चलेगी । इस यंत्र का परीक्षण जिसे ‘त्रिनेत्रा’ (तीसरी आंख) का नाम दिया गया है, एवं सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गई है। इस यंत्र को यात्री ट्रेनों में स्थापित करने के लिए प्राधिकरण को मंजूरी दे दी गई है। यह यंत्र दो किलामीटर की दूरी तक ट्रैक पर किसी भी वस्तु का पता लगाने के लिए इन्फ्रारेड और लेजर रे का उपयोग करता है और लोकोमोटिव के अंदर फिट की गई स्क्रीन पर जानकारी प्रदर्शित करता है। यह यंत्र किसी भी दुर्घटनाओं को दूर करने के लिए पटरी में किसी भी मामूली क्षति या दरार का पता लगा सकता है।

वर्तमान में यह यंत्र इतना उपयोगी है कि रेलवे ट्रैक में छोटी से छोटी फाल्ट व् छेर छ।र का उद्भेदन कर सकता है। इसी क्रम में रेलवे के अधिकारियों ने दावा किया है कि इस उपकरण को सफलतापूर्वक अपने परीक्षण के दौरान कम से कम 500 मीटर की दूरी से ट्रैक पर छोटी वस्तुओं की उपस्थिति का पता चला। यह रेलवे पायलट के लिए पटरियों में मामूली दोषों का भी संकेत देगा और अंततः एक सुरक्षित दूरी पर गाड़ियों को रोक दिया जायेगा। वही अब यह त्रिनेत्रा यंत्र का उपयोग मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन टक्कर, पटरी से उतरने और अन्य दुर्घटनाओं को रोकने में कामयाब रहेगा। रडार आधारित प्रणाली को ट्रैक पर किसी भी भौतिक रुकावट को समझने में सटीक होना पाया गया है। क्योंकि यह आगे की पटरियों में किसी भी क्षति का पता लगा सकता है।

इस संबंध में एनएफ़ रेलवे मुख्यालय के सीपीआरओ पीजे शर्मा ने बताया कि भारतीय रेल में जनवरी 2018 में इस यंत्र की स्थापना के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाएगी। जिसे निर्धारित योजना के अनुसार लगभग 4 हज़ार ट्रेनें पहले चरण में इस यंत्र से सज्जित किया जाएगा। इस यंत्र की पहले चरण को उत्तरी रेलवे क्षेत्र में लागू किया जाएगा, जो घने कोहरे के चलते अधिकतम ट्रेनें प्रभावित होती है । अधिकारियों का दावा है कि भारी बारिश के दौरान ड्राइवरों के लिए यह यंत्र समान रूप से उपयोगी व लाभान्वित होगा।

रेल ब्यूरो कटिहार, खुशबू अग्रवाल

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