नई दिल्ली : देश की आईटी सेक्टर के लिए संकेत कुछ अच्छे नहीं हैं। जहाँ एक तरफ देश भर में बेरोजगारी की समस्या मुंह बाए खड़ी है और मोदी सरकार रोज़गार के अवसर सृजित करने के मुद्दे पर विफल नज़र आ रही है वहीँ अब नौकरीशुदा लोगों के नौकरी पर भी खतरों के बादल मंडराते दिख रहे हैं। मानव संसाधन क्षेत्र से जुड़ी कंपनी हेड हंटर्स इंडिया के मुताबिक नई टेक्नोलॉजी के अनुरूप खुद को तैयार न होने के चलते भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हर साल करीब 2 लाख इंजीनियरों की सालाना छंटनी करने की तैयारी है।
हेड हंटर्स इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के. लक्ष्मीकांत ने मुताबिक अभी शुरुआती तौर पर यह खबर आई है कि हर साल 56,000 आईटी पेशेवरों की छंटनी होगी, पर नई तकनीक के अनुरूप खुद को ढालने में आधी अधूरी तैयारी के चलते तीन साल तक हर साल वास्तव में 1.75 से 2 लाख आईटी पेशेवरों की छंटनी हो सकती है।
के. लक्ष्मीकांत ने यह बातें मैककिंसे एंड कंपनी की ओर से 17 फरवरी को भारतीय सॉफ्टवेयर सेवा कंपनियों के मंच नैस्कॉम इंडिया लीडरशिप फोरम को सौंपी गई रिपोर्ट का विश्लेषण करते हुए कहीं है। मैककिंसे एंड कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया था कि आईटी सेवा कंपनियों में अगले 3-4 सालों में काम करने वाले आधे कर्मचारी अप्रासंगिक हो जाएंगे।
टीमलीज सर्विसेज की कार्यकारी सहसंस्थापक और सह-संस्थापक रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा कि ऐसी स्थिति है जबकि काम करने वाले लोग समय के हिसाब में खुद में बदलाव नहीं ला पाईं। इस वजह से कई कर्मचारी आज के काम के लिए उपयुक्त नहीं हैं।