चकिया चन्दौली दीपक तले अंधेरा की कहावत शायद कभी समाप्त नही होगी।जी हां इस कहावत की उपयोगिता तब और बढ़ जाती है जब विकास की बातें चिल्ला चिल्ला पूरे देश में कही जाती हो और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जैसे व्यक्ति के पैतृक गांव में सुविधाओं का टोटा हो, वह तब जब गांव का प्रधान गांव के विकास के लिए दिन रात तत्पर हो।हम बात कर रहे है चकिया विकास खण्ड़ के बहुचर्चित गांव भभौरा की जहां के राजनाथ सिंह भारत सरकार में गृहमंत्री है।वैसे तो दूर के लोग समझते होंगे कि गृहमंत्री के गांव में विकास की बयार चल रही होगी लेकिन यहां ऐसा कुछ नही है अब तो यहां के लोग विकास न होने के कारण इतने दुखी है कि लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट न डालने का मूड़ बना रहे है।ग्राम प्रधान ई०अवधेश यादव कहते है कि मैं तमाम तरह की गांव में होने वाली असुविधाओं के बाबत ब्लाक के जिम्मेदारों को कई बात अवगत करा चुका हूं फिर भी यहां अधिकारियों के उपेक्षाओं के कारण विकास की कोई रोशनी नहीं दिखाई देती।यहां की फाइलों को ब्लाक में हर टेबुलों पर दबाया जाता है।ऐसे में कई बार कर्मचारियों से कहासुनी भी हो चुकी है,उन्होंने कहाकि गांव में आवास की बात हो या राशन कार्ड चाहे सड़क व नाली की हर कामों के लिए ग्रामीण शासन व प्रशासन से दुखी है जिसका कोपभाजन हमें भी बनना पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि कमोबेश यह स्थिती विकास खण्ड़ के विभिन्न गांवों की है जहां न जानने वाले केवल विकास के लिए ग्राम प्रधानों को दोषी ही मानते है परन्तु हकीकत इसके विपरीत है,जिम्मेदार अधिकारियों की कर्त्तव्य हिनता इसके प्रमुख कारक है।उन्होंने कहाकि हमारी सोच थी कि अपने कार्यकाल में हम अपने गांव को विकास के मायने में इस तरह सजा दूं कि यह गांव और गांवों के लिए उदाहरण के तौर पर देखा जाये पर ऐसा न हो पाना हमें अन्दर से झकझोर रहा है।उन्होंने शासन व स्थानीय जिला प्रशासन से मांग कि है की अभी भी कुछ समय बाकी है इमानदारी से मेरी सभी फाइलों को पास कर दिया जाये तो गृहमंत्री के इस पैतृक गांव को विकास के उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है।
