नई दिल्ली : देश से लाखों करोड़ों का क़र्ज़ लेकर फरार हुए आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ मोदी सरकार ने जो अभियान छेड़ रखा है, उसमें अब मोदी सरकार को कामयाबी मिलती नज़र आ रही है। भारत से बैंकों का क़र्ज़ लेकर फरार हुए विजय माल्या को बड़ा झटका लगा है। विजय माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन की सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है, जिसके बाद माल्या को भारत लाये जाने का रास्ता काफी हद तक साफ़ हो गया है।
ब्रिटेन के गृह विभाग के प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि गृह मंत्री साजिद जावीद ने सभी संबंधित मामलों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद 3 फरवरी को विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण के आदेश पर हस्ताक्षर किए। प्रवक्ता ने कहा कि माल्या भारत में बैंकों से धोखाधड़ी करने की साजिश, झूठे अभ्यावेदन देने और मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के आरोपी हैं। जावीद पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं।
लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने 10 दिसंबर 2018 को माल्या के भारत प्रत्यर्पण को स्वीकृति दे दी थी। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा था कि वह भारत सरकार की ओर से दिए गए विभिन्न आश्वासनों से पूरी तरह से संतुष्ट है। इन आश्वासनों में जेल की एक सेल का वीडियो भी शामिल था।
कोर्ट के फैसले को प्रत्यर्पण संधि प्रक्रिया के तहत गृह मंत्री के पास भेजा गया था, क्योंकि माल्या के प्रत्यर्पण आदेश को जारी करने का अधिकार उनके पास ही था। माल्या अप्रैल 2017 में स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा प्रत्यर्पण वारंट को अमल लाए जाने के बाद से जमानत पर है। 9000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोपी माल्या इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताता रहा है।