बेटी दिवस पर विशेष : ये परिवार बेटियों को मानता है भाग्य विधाता

राघवेंद्र तिवारी की रिपोर्ट :

लखनऊ : जहाँ आज भी समाज मे कुछ लोग ऐसे भी है जो बेटियों के जन्म पर उन्हें बोझ समझकर बेटों की तुलना उनकी परवरिश में भी भेदभाव करते है।वही मोहनलालगंज कस्बे के मधुबननगर में रहने वाला परिवार अपनी बेटियों को भाग्य विधाता मानता है।यही नही अपनी दो बेटियों की परवरिश अपने एकलौते बेटे से बढ़कर करते है और पिता अपनी दोनो बेटियों को पढालिखाकर समाज के लिए कुछ करने की सीख देते रहते है।

मोहनलालगंज कस्बे के मधुबननगर के रहने वाले अखिलेश द्विवेदी बताते है कि उनकी शादी सन 2003 में लखनऊ के भोलाखेड़ा से नितिका से हुई थी उस समय वो अपना खुद का काम कर अपने परिवार का खर्च चलाते थे।उस समय उनको अचानक 20 हजार की जरूरत पड़ी तो उन्हें प्राइवेट कंपनी से भरी भरकम ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ा था। और उसके बाद एक साल में जब उनके घर में एक बेटी का जन्म हुआ तो लगा उनकी बेटी अपने लिए सब कुछ करके आई है। और अपने पिता के लिए भी लाई है।उसके बाद पता ही नही चला कब कर्ज उतर गया और सब कुछ पहले से अच्छा हो गया।इसके बाद जब दूसरी बेटी ने जन्म लिया तो समाज व रिस्तेदारो ने जरूर एक टिप्पणी की अरे दूसरी भी बेटी हो गई।पर उसके आने बाद अखिलेश बताते है कि उनकी स्थिति दिनो दिन बदलती गयी और बस यही लगता गया कि बेटियां तो उनके लिए भाग्यविधाता बनकर उनके जीवन मे आई है।

बेटियों को अफसर बनाकर समाजसेवा करने की नसीहत

वर्तमान में अब अखिलेश द्विवेदी की दो बेटी है एक सौम्या जो इस बार हाईस्कूल की परीक्षा देने जा रही है।और दूसरी तान्या कक्षा नव में पढ़ती है।सबसे छोटा बेटा प्रखर है। पर अखिलेश अपनी बेटियों का बेटे से ज्यादा ख्याल रखते है।और बेटियों को सदा पढ़ लिखकर समाज के लिए के लिए कुछ करने की नसीहत देंते रहते है।यही नही बेटियों को यह पाठ पढ़ाते रहते है कि पैसा और ऊंची बिल्डिंग बनाना ही सफलता नही है। बल्कि अपने देश और समाज के लिए करना ही मुख्य सफलता मानी जाती है।

भतीजी के जन्म के बाद शुरू किया अपना काम

समाजसेवा करने वाले अखिलेश ने बताया कि सबसे पहले उनके जीवन मे भतीजी साक्षी आई और उसके बाद अखिलेश से अपने खुद के काम की शुरुआत अपनी भतीजी के नाम से की जो आज भी चलता चला आ रहा है।

जमीन खरीदी बेटी के नाम से

अखिलेश ने बातचीत के दौरान बताया कि अपनी पहली कमाई से जो धनराशि इकट्ठा की उससे सबसे पहले अपनी बेटी के नाम से ही खरीदी और जब कुछ खरीदते है तो बेटी के नाम से ही ख़रीदते और समय-समय पर पानी बेटियों का हौसला बढ़ाने के लिए कुछ नया करते रहते है।

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