नई दिल्ली : राजनीति में जिस तरह से बीते कुछ समय से शब्दों की मर्यादाएं तार-तार हुई है, वो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। जनप्रतिनिधियों की भाषा न सिर्फ राजनीति बल्कि लोकतंत्र की मर्यादा को भी तार-तार कर रही है। 16वीं लोकसभा के अंतिम दिन जब कई महत्वपूर्ण बिल पास होने थे, उस दिन शब्दों की मर्यादाएं हीं …
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