सपा के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले छात्र नेता के परिजनों को क्या मिला ? अखिलेश को बुला रही है ‘हीरो’ की जन्मभूमि

संतोष यादव की रिपोर्ट :

सुलतानपुर : समाजवादी पार्टी के दिल्ली में हुए प्रदर्शन दौरान आत्मदाह कर अपनी जान की कुर्बानी देने वाले छात्र नेता रणविजय सिंह यादव उर्फ हीरो गाँधी की 17 जनवरी 2019 को 10वीं पुण्य तिथि है। 22 वर्षीय हीरो गाँधी की अपने नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं मुलायम सिंह यादव के प्रति निष्ठा, समर्पण का ही नतीजा रहा कि उसने अपने नेता के लिए मौत को भी गले लगाने से पहरेज नही किया। यही दीवानगी हीरो के परिजनों में भी दिखती है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हीरो के स्मारक स्थल पर मुलायम सिंह के चित्र वाला सपा का झंडा हमेशा लहराता रहता है।

हीरो के जुनून एवं जज्बे की कायल पूरा समाजवादी कुनबा आज भी है। हीरो की शहादत के चर्चे हर एक सपाई की जुबां पर है। लेकिन इन चर्चो से उस बूढ़े बाप को क्या मिला ? जिसने अपना जवान बेटा खोया। यह सवाल आज भी मौजूं है। और नेता निरुत्तर है। पूरे विश्व में समाजवाद का संदेश देने वाले डॉ0 राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि यहाँ लोग याद करते है लेकिन मरने के बाद,उनका यह कथन उनके अनुनायियों की कार्यशैली के चलते उनके अपनो के लिए आज बेमानी लगता है। जीते जी जिसे समाजवादी सिर आँखों पर रखते थे उसके मर जाने के बाद इस कदर भूल गए कि शहादत के दस साल बाद भी उसकी सुधि किसी को नही आई।

हर बार पुण्य तिथि पर बस सिर्फ रस्म अदायगी भर के लिए लोग आते है वही वादे, वही किस्से,जो दस साल से चला आ रहा है। पार्टी के लिए शहीद हुए कार्यकर्ता की उपेक्षा का आलम उस जिले का है जहाँ सपा सरकार के समय 6 विधायक पांच दर्जा प्राप्त मंत्री रहे। यही नही स्व0 हीरो गांधी यादव के गृह क्षेत्र से 5 साल विधायक रहे अरुण वर्मा जो सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव की टीम का खुद को हिस्सा बताते नही अघाते है,उन्होंने भी हीरो की स्मृति में अखिलेश यादव के निर्देश पर एक द्वार बनवाकर मुँह फेर लिया। गांव में हीरो की याद में स्मारक या पार्क आदि ऐसा कुछ नही बन पाया। न ही कभी अखिलेश यादव को रेवारी लाने की कोशिश ही की गई । जैसा कि चर्चा लोगों में है और इस बात को लेकर नराजगी भी है।

गौरतलब है कि दस साल पहले समाजवादी पार्टी द्वारा दिल्ली में हुए धरने प्रदर्शन दौरान दिल्ली समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश महासचिव रहे रणविजय सिंह यादव उर्फ हीरो गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को तत्कालीन बसपा सरकार द्वारा घर में नजर बन्द किए जाने के समाचार मिलने से क्षुब्ध होकर आत्म दाह कर लिया था। जिसे गंभीर स्थिति में डॉ0 राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इलाज दौरान हीरो की मौत हो गई थी।

शव दिल्ली से लखनऊ लाया गया फिर वहां से तत्कालीन सांसद अखिलेश यादव हीरो का शव लेकर स्वयं हीरो के गाँव रेवारी पहुँचे थे। सप्ताह भर बाद पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी अपनी श्रद्धांजलि देने आए। उस समय सूबे में सपा की सरकार नही थी बावजूद इसके सबने वायदे की झड़ी लगा दी थी। लेकिन जब सूबे में सपा की सरकार बनी तो पार्टी के लिए जान कुर्बान करने वाले हीरो के परिजनों से किए गए सारे वादे भूल गए।

2012 में सुलतानपुर जिले की पांचों विधानसभा पर सपा के विधायक जीते,अखिलेश यादव की सरकार में जिले के ही पांच लोगों को मंत्री का दर्जा भी मिला। लेकिन इन जनप्रतिनिधियों को पार्टी एवं अपने नेता के लिए जान कुर्बान कर देने वाले हीरो की सुधि नही आई। आज इस परिवार का कोई पुरसाहाल नही है। यहाँ सिर्फ मुफ़लिसी का मंजर है। बूढ़े बाप की आँखों में आँसू है। 17 जनवरी को हीरो गाँधी की पुण्य तिथि पर परिजनों द्वारा प्रति वर्ष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। जिसमें सपा सुप्रीमों अखिलेश एवं संस्थापक मुलायम सिंह को लाने की हर बार कोशिश होती है लेकिन नतीजा अभी तक का सिफ़र ही निकला।

श्रद्धांजलि सभा में अभी तक उन नेताओं ने कभी आना जरूरी नही समझा जिनके नेतृत्व में दिल्ली में हुए प्रदशर्न दौरान हीरो की मौत हो गई थी। इन नेताओं का घर आना तो दूर की कौड़ी रही मुफ़लिसी में पल रहे हीरो के परिवार की सरकार रहते उन चेहरों ने कभी सुधि लेना भी मुनासिब नही समझा। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में स्थिति जयसिंहपुर के रेवारी गाँव में एक गरीब परिवार में जन्मे रणविजय सिंह यादव उर्फ़ हीरो गाँधी एक ऐसा चेहरा रहा जो प्रदेश से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व के बीच परिचय का मोहताज नही था। छोटी उम्र में बड़ी पहचान बनाने वाले हीरो गाँधी के जज्बे एवं पार्टी व अपने नेताओं के प्रति उसकी दीवानगी के सभी कायल थे।

हीरो गाँधी की इलाज दौरान दिल्ली में जब मौत हो गई तो शव समाजवादी पार्टी के लखनऊ दफ्तर लाया गया। जहाँ शीर्ष नेताओं द्वारा श्रद्धांजलि देने के बाद गाड़ियों के लंबे काफिले के साथ अखिलेश यादव खुद हीरो का शव लेकर उनके गांव रेवारी पहुँचे थे। दाह संस्कार बाद 26 जनवरी को सपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी अपनी श्रद्धांजलि देने रेवारी आए थे। उस समय सपा में रहे सांसद अमर सिंह,पूर्व मंत्री अहमद हसन, ओम प्रकाश सिंह,बलराम यादव,अवधेश प्रसाद,शैलेन्द्र यादव ललई,आदि के अलावा यूथ के प्रदेश एवं राष्ट्रीय नेताओं कमाल अख्तर,डॉ0 संग्राम यादव, संजय लाठर,आनंद भदौरिया, सुनील साजन,विजय सिंह यादव,लीलावती कुशवाहा व सुलतानपुर जिले के सभी नेता तत्कालीन विधायक सहित कई प्रदेशीय,राष्ट्रीय पदाधिकारी भी आए जो बाद में विधायक, मंत्री,सांसद भी हुए लेकिन अपने इस सिपाही को वे सभी भूल गए

हीरो गांधी के अभिन्न मित्र रहे दिल्ली विश्वविद्यालय से छात्र संघ एवं मध्य प्रदेश से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके अर्जुन आर्या कहते है कि वर्ष 2006 में जब वे दिल्ली छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे थे तो मेरे चुनाव में अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रचार करने हीरो लखनऊ से दिल्ली आए थे।

बकौल अर्जुन आर्या हीरो पवित्र आत्मा के व्यक्ति थे,चेहरे पर चमक थी,विचारों में ओज था। सपा के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा था। शहादत बाद हीरो को उचित सम्मान न मिलना जिसके हीरो हकदार थे,इसे श्री आर्या एक बड़ी चूक मानते हुए कहते है कि केंद्रीय नेतृत्व को इस पर विचार करने की जरूरत है।

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने दूरभाष पर बताया कि इस समय वे मुरादाबाद दौरे पर है लेकिन लखनऊ आते ही इस संदर्भ में राष्ट्रीय अध्यक्ष से वार्ता करेंगे। साथ ही हीरो के भाई रजनीश यादव से श्रद्धांजलि कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रदेश कार्यालय को उपलब्ध कराने की बात कही है।

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