नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम नादिर पर सुनवाई अगले साल तक टाले जाने के बाद अब इस मामले को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। विभिन्न हिन्दू संगठनों द्वारा अब इस मामले को लेकर संसद में कानून बनाये जाने की मांग मोदी सरकार से की जाने लगी है। वहीँ राम मंदिर निर्माण को लेकर संतों ने भी सरकार पर दवाब बनाने की कोशिश शुरू कर दी है।
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अखिल भारतीय संत समिति दो दिनों की बैठक कर रही है। इस बैठक को धर्मदेश नाम दिया गया है। यहां विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। समिति धर्म से जुड़े हुए अन्य ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने के बाद एक प्रस्ताव पारित करेगी। इसके अलावा 30 अक्तूबर 1990 और 2 नवंबर 1990 को अयोध्या में पुलिस फायरिंग में मारे गए कार सेवकों की मौत पर शोक प्रकट किया जाएगा।
संत समिति की यह बैठक आरएसएस के बयान के एक दिन बाद हो रही है। मंदिर निर्माण को लेकर संघ के सर कार्यवाह भैय्याजी जोशी ने शुक्रवार को कहा था कि जरूरत पड़ने पर 1992 जैसा आंदोलन किया जा सकता है। इस संत समिति की बैठक में 127 हिंदू संगठनों के संत, शंकराचार्य और उच्च हिंदू संगठनों के साधु हिस्सा लेंगे। जिसमें साध्वी ऋतंभरा भी शामिल हैं। 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान वह अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा में रही थीं।