राजेश पाल की रिपोर्ट :
अमेठी : वर्तमान समय में विकास खंड बाजार शुकुल की समस्त ग्राम पंचायतों में राशन वितरण व्यवस्था व्यवस्था पंगु है, जिसकी चपेट में बेवा, विधवा विकलांग, मजदूर गरीब तबके लोग पीड़ित हैं, क्योंकि उनके नाम राशन कार्ड सूची से या फिंगर मशीन जो कोटेदारों के पास है, उसमें फिंगर नहीं आ रहा है। गरीबों के प्रति सरकार की मंशा बदल चुकी है। जनवरी-फरवरी से यह खेल चल रहा है। कितने लोगों को इसका लाभ मिला कितने वंचित हैं। खाद्यान्न स्टॉक में है या नहीं इसका जिम्मेदार कौन ?
इसके पूर्व निर्मित राशन कार्ड 30 सितंबर सन 2006 में बनाए गए थे और गरीब राशन पाते थे ,इसके बाद कम से कम 15 बार ऑनलाइन ऑफलाइन फार्म जमा कराए गए। नतीजे ढाक के तीन पात। सरकार की योजना मात्र कागजी खानापूरी साबित हो रही है। ग्राम पंचायत धनेशा राजपूत निवासीरहा ना पासी पत्नी मंगल और कुछ अन्य ने बताया कि 2 माह से राशन नहीं मिला। इसका खामियाजा गरीब मजदूर परेशानी उठा रहे हैं और गोदामों से कोटेदारों का उठान बराबर हो रहा है तथा ग्राम धनेशा पाठक मवैया रहमतगढ़ निवासी महरूफ ने बताया मेरे पिता का राशन कार्ड अंतोदय था जो कट गया। मुझे 2 माह से योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
देखना यह है कि शासन-प्रशासन गरीबों का कितना मददगार है। धूल घषित योजना को असली जामा कब मिलेगा ? गरीबों को आने वाले समय का इंतजार है कुछ प्रबुद्धजनो का कहना है कि सच कहा गया है की तुम हम पर रहम करो, हम नैय्या पार लगाएंगे गर् जुल्म झेल कर हम निकले तो तुमको राह दिखाएंगे। कुछ लोगों ने बताया कि हमारे पास राशन कार्ड नहीं है। कई बार फॉर्म जमा करने के बाद कार्ड अब तक सूची में नहीं आया। क्षेत्रीय लोगों ने राशन उच्च अधिकारियों से वितरण सुचारू रूप से कराए जाने की मांग की है।