संतोष शर्मा की रिपोर्ट
*बलिया।* कार्लमार्क्स के जन्म के द्विशताब्दी होने पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी की क्षेत्रीय कमेटी द्वारा रविवार को सायं पार्टी कार्यालय पर उनकी जयंती के उपलक्ष्य में एक गोष्ठी आयोजित की गई।
मुख्यवक्ता रामकृष्ण यादव ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मार्क्स का जन्म पांच मई 1818 को जर्मनी में हुआ था। लेकिन यह कालजयी चिंतक पूरी दुनिया की सम्पत्ति बन गया, क्यांकि इसने मानव समाज के विकास की ऐतिहासिक सिद्धांत प्रतिपादित किया। वहीं अतिरिक्त मूल्य को खोजकर शोषण के कारणों को सामने लाया। क्लासिक जर्मन दर्शन की आलोचना करके उन्होंने हिगंल के भाववादी दर्शन को ध्वस्त कर वैज्ञानिक समाजवाद की अवधारणा प्रस्तुत की। मार्क्स कहते है कि मानव सभ्यता का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है। इस तरह पूंजीवादी समाज व्यवस्था में राज्य पूंजीपति वर्गो के हितों की रक्षा करता है तथा मजदूर वर्ग को प्रताड़ित करता है। पूंजीवादी न्याय व्यवस्था शोषण को वैध ठहराने का हथियार है। इस तरह हर प्रकार के शोषण को समाप्त करने के लिए मजदूर वर्ग के नेतृत्व में क्रांति से ही सम्भव है जो समाजवादी व्यवस्था का निर्माण करेगी और उत्पादन के साधनों पर व्यक्ति का नहीं अपितु पूरे समाज का अधिकार होगा।
इस मौके पर सुभाष चंद्र सिंह, शैलेष सिंह, वीरेन्द्र यादव, परमात्मा राय, रविन्द्र सिंह, छोटेलाल, राजू कुमार, अनिल कुमार सिंह आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता गोपाल जी राव तथा संचालन अवधनारायन सिंह ने किया।