श्रीमद् भागवत कथा का समापन , आज होगा भव्य भंडारा
चन्दौली । स्थानीय क्षेत्र के कोड़रिया गाँव स्थित मौनी बाबा आश्रम प्रांगण मे आयोजित चार दिवसीय गुरू पुर्णिमा महोत्सव के अवसर पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे व अंतीम दिवस व्यास पीठ से भक्तजनो को कथा श्रवण कराते हुए श्रीमद् भागवत मर्मज्ञ श्री श्री अखिलानन्द जी महाराज ने कहा कि बिना गुरू की कृपा के ना हम कथा कर सकते हैं और ना ही भक्त तन्मयता से कथा श्रवण कर सकता है । ईश्वर का प्राकट्य ही उत्सव है किसी भी उत्सव के दौरान जीव को सर्वप्रथम ईश्वर की आवाहन करना चाहिए । उन्होने आत्मा और शरीर पर चर्चा करते हुए कहा कि चराचर जगत मे शरीर मृत होता है वह उसका कार्य है जबकि वेदान्त कहता है कि शरीर से ब्रह्म तत्व जब तक नही जातावह शरीर मृत ही नही होता ।ईश्वर द्वारा प्रदत्त इस महाआकाश के पंच धातुओं से बना यह शरीर तो समाप्त होगा ही क्योंकि समयानुसार अनंत आकाश की कोई भी से वस्तु पुन: उस अनंत मे मिल जाती है । आत्मा ना कही आती है ना जाती है जो जीव और शिव मे कोई भेद नही है । धर्म अर्थ काम मोक्ष मे अर्थ और काम रूपी सांसारिक माया हमारे बीच भेद लाती है । ईश्वर से जुड़ जाने पर जीव ब्रह्म तत्व से जुड़ जाता है । यदि मनुष्य अपने को सद्गुरु के आश्रय मे चला जाय तो उसका जीवन सफल हो जाएगा । मोह माया के बंधन मे बंधे रहना ही जीव के दुख के कारण बनते हैं यदि मोहबंधन को त्याग कर जीव ईश्वर की प्राप्ति हेतु सद्गुरू के शरण मे चला जाता है तो उसका जीवन सफल हो जाता है । बड़े भाग्य से पाये इस मनुष्य तन को पाने वाला मोह बंधन मे पड़ कर अपने जीवन को व्यर्थ व नष्ट कर देता है । उन्होने कहा कि जब पुण्य और पाप बराबर होते हैं तब जीव मनुष्य तन पाता है । अर्थ और काम की प्राप्ति के लिए यह जीवन नष्ट करने से बेहतर है कि जीव धर्म और मोक्ष के रास्ते पर चलने के लिए सत्संग का रास्ता चुने । उक्त अवसर पर मुख्य रूप से सदानन्द बाबा , उमाश्रय बाबा , अरून जी महाराज , विकेश चौबे अनुज चौबे , शैलेश चौबे शुभम चौबे राजू चौबे राकेश सिंह शिवपूजन सिंह वीरेन्द्र सिंह दीनबंधु मिश्रा डा. बृजेश तिवारी शिवानन्द चौबे अव्यक्त दूबे राजेन्द्र सिंह , उमराव सिंह रमेश सिंह गायत्री तिवारी सहित सैकड़ो पुरूष महिलाएँ व बच्चे मौजूद रहे ।