सन्दीप पाण्डेय की रिपोर्ट :
सिद्धार्थ नगर : उत्तर प्रदेश में सुशासन का दावा करने वाले भाजपा सरकार में अब अधिकारी भी सुरक्षित नहीं हैं। शुक्रवार को अराजकता की सारी हदें टूट गयी। कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी तहसीलदार इटवा राजेश अग्रवाल के कोर्ट में जब वह मुकदमें की सुनवाई कर रहे थे, इसी बीच निलम्बित लेखपाल कमलेश मिश्र व उसके पुत्र ने अपने साथियों के साथ कोर्ट में घुस कर गाली-गलौज किया, जिससे उनको दिल कर दौरा पड़ गया। तहसील कर्मचारियों ने उनको अस्पताल में भर्ती किया।
जानकारी के अनुसार तहसीलदार इटवा राजेश अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार को मैं अपने कोर्ट में मुकदमें की सुनवाई कर रहा था। इसी बीच लगभग ग्यार हबजे निलम्बित लेखपाल कमलेश मिश्र अपने पुत्र शुभम, अपने महाकाल ग्रुप के छः मित्रों के साथ मेरे कोर्ट में घुस कर गाली-गलौज करने लगा। प्रतिरोध करने पर उक्त लोग गोलियों से भून देने की धमकी देने लगे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार लगभग आधे घंटे तक पूरे तहसील परिसर में अफरा-तफरी और भय का माहौल बन गया था। तहसील सूत्रों के अनुसार वादकारी और अधिवक्ताओं से भरे कोर्ट में स्वयं के साथ घटी घटना से तहसीलदार को दिलका दौरा पड़ गया। तहसील में मौजूद कर्मचारी व अधिवक्ता उनको आनन फानन मेंसीएचसी इटवा ले गए, जहां उनको तीन बजे तक इलाज के लिए रखा गया।
सुशासन का दम भरने वाले इस भाजपा सरकार में इमानदार अधिकारी के जान, माल और सुरक्षा से बढ़ कर राजनीति है। पूर्व में किए गए दुरव्यवहार के कारण उसे निलम्बित किया गया था। परन्तु राजनीतिक छत्र छाया में उसकी बहाली होने वाली थी। राजनीतिक सपोर्ट मिलने पर उसने एकबार फिर न्याय के मन्दिर की गरिमाा को तार तार कर दिया। जबकि निलम्बित लेखपाल कमलेश मिश्र का कहना है कि अमौना वाले प्रकरण में पत्रावली देखने कोर्ट में गया था। इसी पर वह मेरे ऊपर भड़क गए।