राम धीरज यादव की रिपोर्ट :
बाराबंकी : एक ओर जहां जिले में रक्त की कमी से किसी मरीज की जान न जाए। इस संकल्प के साथ तमाम सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल, पत्रकार संगठन तथा प्रांतीय चिकित्सा संघ के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता लोगों को जागरूक कर एवं स्वयं भी रक्तदान करके जिले में स्थापित ब्लड बैंक में रक्त की कमी ना होने का पूरा प्रयास करते हैं। वहीं महिला जिला चिकित्सालय में चिकित्सक की लापरवाही से मांग पर लाएं गये रक्त को मरीज को न चढ़ा कर दूसरे दिन उक्त रक्त को ख़राब बता कर एक यूनिट रक्त की मांग होने पर मरीज का पति व उसके परिजन दर-दर भटकते रहे हैं। जिसके कारण मरीज को परेशानी के साथ साथ उसके परिजन भी परेशान हो जाते हैं।
यह मामला गुरुवार की रात का बताया जाता है, नगर के गांधी नगर निवासी अनूप गौतम अपनी पत्नी गंगाजली को लेकर गुरुवार को प्रशव के लिए जिला महिला अस्पताल गए जहां चिकित्सकों ने रक्त की कमी बताई और दो यूनिट रक्त लाने के लिए कहा तो अनूप एवं उनके परिवार के सदस्य ने ब्लड बैंक में रक्त देकर दो यूनिट रक्त लाकर चिकित्सक को दिया। जिसमें एक यूनिट रक्त रात को चढ़ाया और बताया कि दूसरा यूनिट रक्त बाद में चढ़ेगा। रात भर ब्लड को अनूप उसे अपने पास रखें रहे, किन्तु रक्त की मांग न तो की गई और न ही अनूप को बताया गया कि रक्त को फ्रिज में रखवा दे।
शुक्रवार की सुबह चिकित्सकों ने पुनः एक यूनिट रक्त की मांग की तो रखा हुआ रक्त अनूप ने दिया जिसे चिकित्सक ने ख़राब हो गया बताकर पुनः रक्त लाने को कहा। जिसके कारण गांधी नगर के सभासद अनूप कुमार का कहना है कि चिकित्सकों को तो रक्त का महत्व पता ही होता है। जब चिकित्सक ही लापरवाह हो की कमी से किसी मरीज की मौत नही हो रही हैं। फिर भी महिला अस्पताल की चिकित्सक की लापरवाही से एक यूनिट रक्त ख़राब हो गया जो बड़ी मुश्किल से मरीज को समय पर मिलता है। क्योंकि ब्लड देने के नाम पर अधिकांश परिचित व रिस्तेदार भी कन्नी काटते हैं। यह सभी को पता होता है कि खून किसी कारखाने में नही बनता जिसके कारण रक्त दान महादान कहा गया है। आपके एक यूनिट ब्लड से किसी को नया जीवन मिल सकता है, आगे आए और रक्तदान करें साथ ही लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करें।