हरिबंश चतुर्वेदी की रिपोर्ट :
लखनऊ : प्रदेश में हो रही जहरीली शराब के सेवन से मौतें जारी है। जिन परिवारों ने इस हादसे में अपने परिजन खो दिए उनके साथ सबकी हमदर्दी होनी चाहिए। सरकार के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है कि जिन परिवारों के मुखिया इन हादसों के शिकार हुए है उन परिवारों को संभलने में पूरा सहयोग करे। जो हादसा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में हुआ है वह हृदय विदारक है।
ऐसी ही घटना 2017 में आज़मगढ़ जिले में भी हुई थी जिसमे कई दर्जन लोग मारे गए थे। उस समय भी शासन ने शराब का कारोबार बंद कराने को लेकर कई दावे प्रस्तुत किये थे। परंतु इस पर प्रश्न यह उठता है कि अगर शराब कारोबार पर जमीनी स्तर से कारवाई की गई होती तो काश ये घटना नही घटती। सहारनपुर और कुशीनगर में जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच के लिए सरकार ने तो टीमें गठित कर दी है। सरकार द्वारा आबकारी विभाग के कई अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शनिवार को कुछ पत्रकारों द्वारा शराब कांड पर प्रश्न पूछा तो वह भागते नजर आए। क्या जहरीली शराब से हुई मौतों के परिवार वालो का दुर्भाग्य कहे कि सरकार और प्रशाशन की भारी चूक इस पर एक बड़ा सवाल उठता है। वैसे प्रदेश सरकार ने जहरीली शराब से हो रही लगातार मौतों को ध्यान में रखते हुए कड़ा कानून तो बना दिया परन्तु अधिकारी अवैध शराब के कारोबारियों में कानून का भय पैदा नही कर सके है।