सोनभद्र : बकरीपालन समूह से जुडी महिलाओं ने हाट लगाकर बेचे बकरे एवं बकरी, बना चर्चा का विषय

ज़मीर अंसारी की रिपोर्ट :

सोनभद्र : उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत इन्टेन्सिव ब्लॉक दुद्धी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत गठित समूह कि महिलाएं समूह से ऋण लेकर तरह तरह के रोजगार को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाने में लगी हुई है। मंगलवार को एक अनोखी पहल समूह की महिलाओं द्वारा किया गया, जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।



इन दिनों मुसलमानों का पवित्र पर्व बकरीद के मद्देनजर महिलाओं ने आपस में अपने अपने समूहों में चर्चा की एवं निर्णय लिया कि इस बार बकरीद के अवसर पर हम लोग सभी बकरीपालन करने वाले समूह की महिलाएं फुलवार में बकरा हाट बाजार लगाकर बकरी एवं बकरे को उचित मूल्य पर बेचेंगे।
आस-पास के क्षेत्र की समूह की महिलाएं जो बकरीपालन से जुड़ी हुई है, मंगलवार को ग्राम फुलवार में एक सार्वजनिक जगह पर अपने अपने बिक्री योग्य बकरी एवं बकरे को लेकर इकट्ठा हुई।



खरीदने बेचने का सिलसिला लगातार जारी रहा, जिन्हें पहले से पता था वो पहले हीं पहुंच कर खरीददारीकी, जिन्हें नहीं पता था, पता चलते ही जगह पर पहुंच कर खरीद की। महिलाओं ने अपने बकरे एवं बकरियों के मनोनुकूल कीमत मिलने पर ही बिक्री की। न्यूनतम 2 हजार से अधिकतम 4 हजार के बीच कीमत लेकर बेची गई। रिन्तु देवी (माया समूह) ने 15 हजार, सुशीला देवी (सरस्वती समूह) ने 11 हजार, सीमा देवी (लक्ष्मी समूह) ने 10 हजार , मुनिया देवी (माया समूह) ने 8 हजार की एवं अन्य ने 2 हजार से 3 हजार की बिक्री की। विंढमगंज, कोन, दुद्धी एवं दिघुल से खरीदने वाले पहुंचे थे।



समूह की महिलाओं द्वारा प्रायोजित बकरा हाट बाजार का निरीक्षण बीएपी जय कुमार जोशी भी किया एवं महिलाओं का हौसला अफजाई किया। ब्लॉक दुद्धी में पदस्थापित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लॉक एंकर पर्सन जय कुमार जोशी ने बताया कि वैसे तो लगभग हर गरीब घर में बकरी पाली जाती है। समूह से जुड़े लगभग 350 से ज्यादा महिलाएं इस क्षेत्र की है, जो समूह से ऋण लेकर बृहद पैमाने पर बकरीपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। बकरीपालन के लिए इन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है ।गरीब महिलाओं के लिए बकरीपालन एक एटीएम की तरह है जिसे जब चाहे आवश्यकतानुसार बेचकर पैसे प्राप्त किये जा सकते हैं। कम लागत से यह व्यवसाय शुरू भी किया जा सकता है। चारे एवं रखरखाव पर ज्यादा खर्च नहीं होते हैं। हम चाहेंगे कि अधिक से अधिक व्यक्ति इससे जुड़कर लाभ कमाए ।इस अवसर पर बीएपी जय कुमार जोशी, एलएच पीआरपी उपेन्द्र कुमार, चन्द्रिका प्रसाद एवं अन्य ग्रामीण मौजूद रहे।


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