संतोष शर्मा की रिपोर्ट :
बलिया : राज्य सूचना आयुक्त पारसनाथ गुप्ता ने कहा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम एक क्रांतिकारी अधिनियम रहा है। इसका उद्देश्य सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाना एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। दावा किया कि इस अधिनियम से निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। यह भी कहा कि इस अधिनियम के अंतर्गत मांगी जाने वाली सूचना नहीं देने वाले अफसर दण्डित किए जाएंगे। मंगलवार को कलेक्ट्रेट में पत्रकारों से बातचीत में राज्य सूचना आयुक्त श्री गुप्ता ने कहा कि आम आदमी तक हर जानकारी पहुंचाने में इस अधिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
बताया कि 2015 में नियमावली प्रख्यात हुई जिसमें सूचना देने वाले और लेने वाले के लिए काफी आसानी हो गया। उन्होंने अधिनियम के अधिकारों की जानकारी देने के साथ ‘राइट टू प्राइवेसी’ यानी ‘निजता के अधिकार’ के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। बताया कि अधिकारियों को आरटीआई अधिनियम की विस्तृत जानकारी हो इसके लिए दूसरा चरण में सभी जिलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पहले चरण में सभी मंडलों पर यह ट्रेनिंग दी गई थी। इस अधिनियम के अंतर्गत कौन सी सूचना देनी है, कितने समय में देनी है और कौन सी सूचना नहीं देनी है, इसके बारे में विस्तार से बताया। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों पर जो दंड लगाया गया है उसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी है जो पेनाल्टी की वसूली कर रही है। पहले की अपेक्षा राज्य सूचना आयोग में शिकायतों की संख्या कम हुई है,जिससे लगता है कि मामले ज्यादा डिस्पोजल हो रहे हैं। प्रेसवार्ता के दौरान सीडीओ बद्रीनाथ सिंह, एडीएम मनोज सिंघल, सूचना अधिकारी एके पांडेय भी मौजूद थे।