अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम मोदी द्वारा दिए गए भाषण की बड़ी बातों पर एक नज़र

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लोकसभा में विपक्षी दलों पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस जनता से कट गई है और जो दल कांग्रेस के साथ हैं वे भी डूबने वाले हैं। मोदी लोकसभा में सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे।



प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र में 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है, लेकिन विपक्ष में शामिल दल सरकार के खिलाफ बहुमत जुटाने में विफल होने को लेकर आश्वस्त होने के बावजूद सरकार गिराने की कोशिश में जुटे हैं। मोदी ने शायरी के जरिए विपक्ष पर निशाना साधा और कहा- “मांझी ना रहबर ना कह में हवाएं .. है कश्ती भर जर्जर ये कैसा है सफर.” उन्होंने कहा, “मेरे बारे में कहा गया कि प्रधानमंत्री को संसद में बोलने दिया जाए तो वह 15 मिनट भी नहीं बोल पाएंगे लेकिन मैं खड़ा भी हूं और चार साल के अपने काम के बल पर अड़ा भी हूं.” पीएम मोदी ने 2024 में विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कहकर यह संदेश देने का प्रयास भी किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर राजग को कोई चिंता नहीं है। लगभग डेढ घंटे के अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष द्वारा लगाये गए तमाम आरोपों का बिंदुवार जवाब दिया।



पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें

राहुल गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी हथियाने की जल्दी है, इसलिए विपक्ष द्वारा यह प्रस्ताव लाया गया है. बीजेपी को जनता का समर्थन प्राप्त है.

सरकार को बहुमत मिला है, लेकिन विपक्ष इस बात को नहीं समझ रहा है और अपने स्वार्थ के लिए देश पर विश्वास नहीं कर रहा है. सरकार को देश के 125 करोड़ लोगों का आशीर्वाद मिला है.

पिछले चार साल में देश में एनडीए सरकार के विकास कार्यों के बावजूद ‘‘अहंकार’’ के कारण अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. सवा सौ करोड़ देशवासियों ने चुना है और ‘‘यहां से कोई न उठा सकता है, न बैठा सकता है.’’

उनका (राहुल गांधी के गले मिलने पर) एक ही मकसद है मोदी हटाओ. मैं हैरान हूं कि सुबह चर्चा शुरू हुई थी, मतदान भी नहीं हुआ था, जय पराजय का फैसला भी नहीं हुआ था लेकिन उन्हें यहां पहुंचने का इतना उत्साह है कि आकर (मुझसे) बोले, उठो उठो.’ यहां कोई न उठा सकता है, न बैठा सकता है. सवा सौ करोड़ देशवासियों ने बैठाया है. सवा सौ करोड़ देशवासी उठा सकते हैं. इतनी जल्दबाजी क्या है.’

उनका (राहुल) एक ही मकसद है, मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा. इसके लिए कम से कम अविश्वास प्रस्ताव का बहाना तो न बनाइए.’’



‘‘एक गरीब मां का बेटा, पिछड़ी जाति से आने वाला नरेन्द्र मोदी ऐसा (राहुल गांधी की आंखों से आंखे न मिलने की बात पर) साहस कैसे कर सकता है? देश ने देखा है कि आंखों में आंख डालने पर सुभाष चंद्र बोस के साथ क्या हुआ, चौधरी चरण सिंह के साथ क्या हुआ, जय प्रकाश नारायण के साथ क्या हुआ,
मोरारजी देसाई के साथ क्या हुआ, सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ क्या हुआ?

आंख में आंख डालने वालों को ठोकर मारकर बाहर कर दिया गया. आप तो नामदार है, मैं तो कामगार हूं. हम आपकी आंखों में आंख कैसे डाल सकते हैं.’’

आंखों का खेल पूरे देश ने देखा है. आंखों की बात करके ‘‘आंख की हरकत’’ पूरे देश ने देखी है. आंखों की बात करके सत्य को पूरी तरह से कुचला गया है.

मैं प्रार्थना करूंगा कि साल 2024 में आपको इतनी शक्ति दे कि आप फिर अविश्वास प्रस्ताव लाएं. मेरी आपको शुभकामनाएं’’

उनका (राहुल) एक ही मकसद है कि ‘‘मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा’’. इसके लिए कम से कम अविश्वास प्रस्ताव का बहाना तो न बनाइए. हम यहां इसलिए हैं कि हमारे पास संख्याबल है. हम यहां इसलिए हैं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद हमारे साथ है. अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए देश के मन पर, देशवासियों के आशीर्वाद पर कम से कम अविश्वास न करें.



बिना तुष्टीकरण के, बिना वोट बैंक की राजनीति के हम ‘सबका साथ-सबका विकास’ के मंत्र के साथ राजनीति करते हैं. पिछले चार साल में उस वर्ग के लिए काम किया जिसके पास चमक धमक नहीं थी. अहंकार ही कहता है कि हम खड़े होंगे तो प्रधानमंत्री 15 मिनट तक खड़े नहीं हो पाएंगे. मैं खड़ा भी हूं और चार साल जो काम किये हैं, उस पर अड़ा भी हूं.

मैं सौदागर और ठेकेदार नहीं हूं. मैं गरीबों एवं युवाओं के सपनों के भागीदार हूं. कांग्रेस जब सत्ता में नहीं होती है तब अस्थिरता और अफवाह फैलाने का काम करती है. 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत से बनी सरकार ने पिछले चार साल में जिस गति से काम किया है, उसके काम पर विश्वास जताएं.
अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान हमें अपनी बात करने का मौका तो मिल ही रहा है, साथ ही देश को देखने को मिल रहा है कि विपक्ष में कैसी नकारात्मकता है, विकास के प्रति कितनी नकारात्मक सोच है.

कभी तो लगता है कि आज उनके (विपक्षी दलों के) सारे भाषण, उनका व्यवहार अज्ञानवश नहीं है. यह झूठे आत्मविश्वास के कारण भी नहीं. अहंकार इस प्रकार की प्रवृत्ति के लिए खींच लाया. मोदी ने कहा कि विपक्ष को हमारे इतने सारे विकास कार्यों, योजनाओं पर विश्वास नहीं है.



राफेल सौदा दो जिम्मेदार सरकारों के बीच सौदा है, दो कारोबारी पार्टियों के बीच नहीं. देश की सुरक्षा के मुद्दे पर तो ‘‘यह बचकाना रवैया’’ नहीं अपनाएं. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह की बात करना ठीक नहीं है. नामदार के आगे तो मैं इसके संबंध में प्रार्थना ही कर सकता हूं.

देश के सेनाध्यक्ष के बारे में बात की जाती है जो ठीक नहीं है. जो देश के लिये मर मिटने को तत्पर होते हैं, उनके बारे में इस तरह की बात करना ठीक नहीं है.
आप सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक बता रहे हो. ‘‘ आपको अगर गाली देना है, तो मोदी तैयार है लेकिन देश के जवानों के पराक्रम पर प्रहार नहीं करें. सर्जिकल स्ट्राइक की तुलना जुमला स्ट्राइक से करना देश की सेना का अपमान है.’’



हम यहां इसलिए हैं कि हमारे पास संख्याबल है. हम यहां इसलिए हैं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद हमारे साथ है.

सितंबर 2017 से मई 2018 तक नौ महीने में संगठित क्षेत्र में 50 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है. एक साल के लिये यह आंकडा जोड़ें तक यह संख्या 70 लाख होगी.

संगठित और असंगठित क्षेत्र में एक साल में एक करोड़ लोगों से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है और यह एक स्वतंत्र एजेंसी का आंकड़ा है.


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