सीबीआई में जारी विवाद में उछला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और केंद्रीय मंत्री का नाम, बैकफुट पर मोदी सरकार

नई दिल्ली : भ्रष्टाचार की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी सीबीआई आजकल खुद भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही है, जिससे इस एजेंसी के विश्वसनीयता पर कई तरह के गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। वहीँ सीबीआई में जारी विवाद में अब एक ऐसा खुलासा हुआ है, जिससे मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

दरअसल सीबीआई घूसकांड में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और केंद्रीय मंत्री का नाम सामने आने से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। बता दें कि सीबीआई घूसकांड में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और केंद्रीय मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी का नाम सामने आया है, जिसके बाद से हीं राजनितिक घमासान मचा हुआ है। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है।



आपको बता दें कि सीबीआई अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के.वी. चौधरी ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में हस्तक्षेप किया। अस्थाना पर रिश्वतखोरी के आरोप हैं।

सिन्हा ने अपने आवेदन में 23 अक्टूबर की रात नागपुर किए गए अपने तबादले को रद्द करने की मांग की है और आरोप लगाया है कि मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ मामले में गवाह, सना सतीश बाबू ने ‘केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी को कुछ करोड़ रुपए दिए थे।’ डीआईजी रैंक के अधिकारी सिन्हा अस्थाना रिश्वतखोरी मामले की जांच की निगरानी कर रहे थे।



अस्थाना मामले में गिरफ्तार बिचौलिए मनोज प्रसाद से अपनी पूछताछ के विवरण पेश करते हुए सिन्हा ने याचिका में कहा है कि मनोज प्रसाद के अनुसार, मनोज और सोमेश के पिता, रॉ के सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव दिनेश्वर प्रसाद के एनएसए अजित के. डोभाल से घनिष्ठ संबंध हैं। सिन्हा ने कहा है कि मनोज को जब सीबीआई मुख्यालय लाया गया, तो सबसे पहले उसने यही बात कही और आश्चर्य व्यक्त किया कि उसके एनएसए डोभाल के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, ऐसे में सीबीआई उसे कैसे उठा सकती है।

याचिका में कहा गया है कि प्रसाद ने दावा किया कि हाल ही में उसके भाई सोमेश और सामंत गोयल ने एनएसए को एक महत्वपूर्ण निजी मामले में मदद की थी। उसने आगे कहा कि भारत ने इंटरपोल से एक मामले को वापस ले लिया था। मनोज के इस दावे की सत्यता के सबंध में एनएसए के संबंध में दावे की सत्यता जांचने की कोई कोशिश नहीं की गई।


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