साजिद अंसारी और सलिल पांडेय की रिपोर्ट :
मिर्जापुर : जनपद के गांव-गरीब नेटवर्क की गोष्ठी में पर्यावरण दिवस पर पॉलिथीन एवं ध्वनि प्रदूषण यंत्रों के प्रयोग को स्वेच्छया त्यागने की सलाह दी गयी है। इसके लिए सरकारी स्तर के अलावा सामाजिक संगठनों से भी कहा गया है कि वे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों के बजाय वृक्षारोपण, सफाई, गंगा-निर्मलीकरण का अभियान लागू करें। वर्ष में एक दिन भी यदि ऐसा नहीं कर सके तो पर्यावरण-संरक्षण की बात बेमानी है।
नगर के तिवराने टोला स्थित आवास पर नेटवर्क की संगोष्ठी में कहा गया कि सरकारी/गैरसरकारी संगोष्ठियों में मंचों पर प्लास्टिक की बोतलों में अतिथियों के समक्ष पानी रखा जाता है। प्लास्टिक के गिलासों में पानी तथा थर्मोकोल के प्लेट में व्यंजन परोसा जाता है, जो सीधे-सीधे पर्यावरण संरक्षण को मुंह चिढ़ाता हुआ सा प्रतीत होता है। मजेदार बात है कि मंचों पर बड़े अधिकारी और मंत्री तक रहते हैं और आयोजकों को मना नहीं करते।
वक्ताओं ने कहा पर्यावरण को ध्वनि-प्रदूषण से भी खतरा है। यदि ध्वनि-प्रदूषण बढ़ता गया तो आने वाली पीढ़ी बहरी तो होगी ही, कम्प्युटर के नेटवर्क भी प्रभावित होंगे। इसलिए पर्यावरण दिवस 5 जून को पूरी तरह से डीजे तथा अन्य उपकरण बजाने पर रोक लगे। इसके अलावा टूटे वाहनों से तेज आवाज होती है। खासकर रात में टूटे हुए ट्रैक्टर ईंट, बालू लेकर दौड़ते हैं तो इतनी तेज आवाज होती है कि लोगों की सुकून भरी नींद खराब होती है।
वक्ताओं ने कहा कि पर्यावरण रक्षा में व्यवधान डालने वाले कार्यों पर बिना रोक और जागरुकता के कार्यक्रम करना केवल फर्ज अदायगी ही कही जाएगी । संगोष्ठी की अध्यक्षता सलिल पांडेय ने की। वक्ताओं में भारत ज्योति दास, जलज नेत, साकेत पांडेय, वृजेश जायसावल, किशोरी लाल, पूर्व प्रधान, विनय यादव, शशांक सिंह, अभिषेक सिंह, बादल मोदनवाल आदि शामिल थे।