उमेश दुबे की रिपोर्ट :
मुगलसराय : सरकार और कर्मचारियों के बीच लगभग एक पखवारे के लम्बे संघर्ष के बाद अन्ततः सरकार ने गुरुवार देर शाम बिजली कर्मचारियों की मांग स्वीकार करते हुए प्रदेश के सात उपनगरों सहित पाँच महानगरों के निजीकरण किये जाने जैसे अपने फैसले को निरस्त कर दिया।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पहले सात उपनगरों उरई,कन्नौज, इटावा,सहारनपुर, बलिया,मऊ तथा रायबरेली का निजीकरण कर दिया, जिसकी भनक मिलते ही कर्मचारियों ने विरोध शुरु किया ही था कि सरकार के पाँच महानगरों वाराणसी,गोरखपुर,मेरठ,मुरादाबाद समेत लखनऊ को भी नीजि हाथों में दिये जाने के फैसले ने आग में घी डालने का काम कर दिया। फलतः कर्मचारियों ने तत्काल निजीकरण के फैसले को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर कार्य बहिष्कार आन्दोलन की राह पकड़ ली, जिससे प्रदेश भर में बिजली अशान्ति फैल गई। अन्ततः कर्मचारियों को मिल रहे जन समर्थन को देखते हुए सरकार ने गुरुवार को देर शाम अपने निजीकरण के फैसले को निरस्त कर दिया।
उधर मन्डल कार्यालय पर चल रहा धरना जो कल तक सरकार विरोधी नारों से गुंजायमान रहता था, शुक्रवार को विजय दिवस के रूप में मनाया गया और सरकार के समर्थन में नारे लगाये गये और धरनारत बिजलीकर्मियों ने एकदूसरे को सफल संघर्ष के प्रति बधाई देते खुशियाँ बाँटी। धरना स्थल पर आहूत सभा में वक्ताओं ने सरकार के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि हम सब सरकार के कार्मिक है और सरकार को हमारी बात सुननी भी चाहिए। वक्ताओं ने सरकार द्वारा निजीकरण रद्द करने के फैसले को जनहित में लिया गया फैसला बताया। इस बीच आन्दोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बिजली मजदूरों का माल्यापर्ण कर सम्मान किया गया।
सभा को आशीष सिंह, दीपक अग्रवाल, सुधीर श्रीवास्तव, मो. मेंहदी, दलसिंगार यादव, घनश्याम, ए. के. पान्डेय, हंसराज, सागर, के. पी. वर्मा, दिनेश सिंह आदि नेताओं ने सम्बोधित किया। अध्यक्षता सर्वेश पान्डेय तथा संचालन राजमणि वर्मा ने की।