श्रीनिवास सिंह ‘मोनू सिंह’ की रिपोर्ट :
लखनऊ : कहते हैं कि देश का संपूर्ण और समग्र विकास तभी संभव है जब देश में अच्छी सड़कें होंगी। इसी कहावत के आधार पर देश में आजादी के बाद से ही सड़कों का जाल बिछाने का काम तेजी से किया गया और निरंतर आने वाली सरकारें इस बात को ध्यान में रखते हुए इस महत्वकांशी परियोजना को और भी अधिक से अधिक विकसित रूप देने का प्रयास करती रहीं है। इसके साथ ही पिछली सरकारों द्वारा बनाई गई सड़कों की अपेक्षा हमेशा अपनी सरकार में बनाई गई सड़कों का योगदान देश व प्रदेश के विकास में ज्यादा मानती व प्रचारित भी करती है।
इसी को देखते हुए वर्ष 2017 में आने वाली भाजपा सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बनाई गई पिछली सपा सरकार की कई सड़कों को गुणवत्ताहीन बताया। इसके साथ ही अपनी बनने वाली सरकार के महत्वपूर्ण लक्ष्य में गड्ढा मुक्त सड़कों का वादा भी कर डाला। किंतु नई नवेली सरकार के बनने वाले महामहिम मुख्यमंत्री जी का यह वादा जल्दबाजी में किया गया ही साबित हुआ, जो कुछ ही दिनों में संपूर्ण प्रदेश की सड़कों के साथ साथ प्रदेश की राजधानी की मुख्य सड़कों को देखते हुए साबित भी हो गया है।
आज हम बात कर रहे हैं राजधानी में स्थित तहसील सरोजनी नगर को जाने वाली मुख्य सड़क की, जो कि लखनऊ कानपुर मुख्य मार्ग से सटी हुई मुश्किल से 200 मीटर भी नहीं है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सरकार द्वारा अधिकृत किए गए विभागों द्वारा मात्र 200 मीटर की सड़क भी ठीक से नहीं बनाई जा रही है, जो कि 1 वर्ष चलने लायक बनी रहे तो फिर लंबी लंबी सड़कों को बनाने में कितनी गुणवत्ता बरती जाती होगी। यह शायद बताने में भी शर्म आए।
बताते हैं कि अभी इस सड़क को बनाए हुए कुछ ही महीने बीते थे कि बरसात के होने से इस सड़क को बनाने में की गई मिलावटखोरी की पोल खुल गई। जो कि साफ-साफ दिख रहा है कि इसमें कंकड़, बजरी और तारकोल की मात्रा ना के बराबर डाली गई थी। सवाल उठता है कि जब इस सड़क पर महकमे के DM SDM, SSP के साथ ही लगातार और भी उच्चाधिकारियों का आना जाना बराबर लगा रहता है बावजूद इस सड़क का यह हाल है कि लगभग पूरी सड़क में गढ्ढों सहित पानी भरा है। तो प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बनाई जाने वाली सड़कों में कितनी घपलेबाजी की जाती होगी, जो की बड़ी चिंता का विषय है।