संतोष यादव की रिपोर्ट :
सुल्तानपुर : कोर्ट के कड़े रूख के बाद कई पेशियों से गैर हाजिर चल रहे दरोगा अभिलेखों के साथ शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में तलब हुए। इस दौरान ट्रक रिलीज मामले में दरोगा ने सफाई भी देने का प्रयास किया। फिलहाल उन्हें अभी राहत नहीं मिल सकी है, बल्कि वह अपने ही बुने जाल में फंसते नजर आ रहें है।
मालूम हो कि लम्भुआ थाना क्षेत्र के कुबेरशाह पट्टी निवासी अधिवक्ता दानबहादुर की ट्रक बीते 30 जुलाई को आरोपी आनंद उर्फ बिक्की, कोयला लदाने के बहाने चंदौली जिले के ट्रार्सपोर्ट लेकर चले गए। जिसके संबंध में दान बहादुर ने मुकदमा दर्ज कराया। कई महीनों बाद हरकत में आयी पुलिस ट्रक बरामद कराने चंदौली स्थित ट्रांसपोर्ट गयी और मामुली औपचारिकता भी पूरी की। बरामद ट्रक को पुलिस ने चंदौली से लाकर थाने में खड़ी करा लिया और दान बहादुर से उनका बड़ा काम करा देने के नाम पर बार्गनिंग करने लगी।
दानबहादुर ने पुलिस के शर्त पर असमर्थता व्यक्त करते हुए उनकी मांग पूरी करने से इंकार कर दिया तो पुलिस वालों का यह बात नागवार गुजरी। नतीजतन पुलिस उनकी ट्रक देने में हीला-हवाली करने लगी। पुलिस की यह मंशा देख दानबहादुर ने कोर्ट मे रिलीज अर्जी दी, जिसमें करीब ढ़ाई महीने तक कोर्ट थाने से रिपोर्ट मांगती रही, लेकिन पहले तो रिपोर्ट नहीं दी गयी। बाद में कोर्ट ने कारण बताओं नोटिस जारी कर तलब किया तो हरकत में आयी पुलिस ने अपने को बचाने के लिए ट्रक को थाने से ले जाकर नरहरपुर रेलवे क्रांसिग के पास खड़ी करा दिया। अब कोर्ट उनसे जवाब मांग रही है तो दरोगा जी चंदौली में ही ट्रांसपोर्टर के कब्जे से दानबहादुर को ट्रक सुपुर्द कराने का दावा कर रहें है, जबकि दरोगा रामलखन के पास केस प्रापर्टी को विधिक तरीके से सुपुर्द कराने के कोई कागजात नहीं है।
सच्चाई भी यही है कि अभी दानबहादुर को ट्रक मिली भी नही है। ऐसे में दरोगा रामलखन की बात को सही भी मान लिया जाए तो माल मुकदमा ट्रक को बगैर अपने कब्जे में लिए एवं बगैर किसी विधिक प्रक्रिया को अपनाए उन्होंने कैसे ट्रांसपोर्टर से ही ट्रक मालिक दानबहादुर को ट्रक सीधे कैसे सुपुर्द करा दिया, यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। इतनी बड़ी पुलिसिया चूक होने के बावजूद भी थानाध्यक्ष से लेकर जिले के अन्य पुलिस अधिकारी अपने दरोगा पर कार्यवाही के बाजए चुप्पी साधे हुए है, जो कि थाने से लेकर जिले स्तर तक की पुलिस को सवालो के घेरे में खड़ा कर रही है। इस मामले में सीजेएम कोर्ट के कड़े रूख के बाद शुक्रवार को दरोगा रामलखन व उनके सहयोग में दरोगा संदीप राय अदालत में तलब हुए। जिन्होंने मनगढ़ंत तथ्य पेशकर अपनी सफाई दी और कोर्ट ने जब विवेचक के जरिए ट्रक मालिक को सुपुदर्गी के कागजात मांगे तो दरोगा जी की बोलती ही बंद हो गयी। इस दौरान ट्रक मालिक के अधिवक्ता ने पुलिस पर फर्जी तथ्य पेश करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट को गुमराह करने का तर्क रखा। मामले में सीजेएम सपना शुक्ला ने पुलिसिया कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की और अग्रिम कार्यवाही के लिए पत्रावली नियत की है।